36 घण्टे का कठिन सूर्योपासना का व्रत उदीयमान सूर्य के अर्घ्य के साथ सम्पन्न
सुबह तीन बजे से ही छठ घाट पर पहुंच गए भक्त
Chandauli news: उगअ हो सूरज देव भोर भिनसार, अरग के बेर। कहवा पइबो सोने के कटोरवा कहवा पइबो दूध। जैसे पारपंरिक लोक गीत से शुक्रवार का भोर गुंजायमान रहा। छठ घाट पर तीन बजे रात्रि में ही व्रती और आस्थावान पहुंच गए थे। पूर्वाभिमुख होकर व्रती महिलाएं जल में धूप बत्ती लेकर भगवान भास्कर के उदय होने के प्रतीक्षा में लोक गीत गुनगुना रही थी। सुबह के 6: 32 पर उदय होने से पूर्व लालिमा के साथ अर्घ्य का शुभारंभ हुआ। गाय के दूध का भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर महाआस्था के इस पर्व का समापन हुआ।
सूर्योपासना के चार दिवसीय पर्व का शुक्रवार को समापन हुआ। गंगा घाट से लेकर गांव गांव के तालाब, नहर के किनारों पर पूजा घाट बनाकर 36 घण्टे का निर्जला उपवास रखकर एक साथ हर वर्ग के लोंगो ने भगवान दिवाकर का पूजन अर्चन किया। इस महापर्व को लेकर पिछले एक सप्ताह से तैयारी युद्ध स्तर पर था।
मान्यता है कि सूर्य उपासना व्रत का शुभारंभ कुंती ने किया था। इसके अलावा भगवान राम के वनवास के समय माता सीता ने गंगा पार करते समय सकुशल वापसी के लिए मन्नत मांगी थी। कार्तिक मास के शुल्क पक्ष में भगवान विष्णु के शयनकाल से वापस आने पर षष्ठी तिथि के दिन यह त्योहार मनाया जाता है। चार दिवसीय पर्व कस शुभारंभ नहाय खाय( लौकी- भात), खरना(खीर), के बाद 36 घण्टे ने निर्जला उपवास से होता है।
विश्व प्रसिद्ध त्योहार इस बात का संदेश देता है कि जो अस्त होता है उसका उदय होना निश्चित है। इस परम्परागत त्योहार पर भीड़ भाड़ को देखते हुए सुरक्षा का ब्यॉपक बंदोबस्त किया गया था। पुलिस कर्मियों की ड्यूटी बुधवार दोपहर 02 बजे से त्योहार समाप्ति तक के लिए लगाया गया था। इसके अलावा वरिष्ठ अधिकारी भी चक्रमण करते रहे। घाटों पर अर्घ्य के बाद व्रत का पूर्णावती अग्नि आहुति के साथ सम्पन्न कराने के लिए पुरोहित भी अग्नि कुंड तैयार कर व्रतियों के हाथों हवन पूजन कराया।
इसके साथ ही घाट पर प्रसाद वितरण का कार्य हुआ। समाजसेवियों द्वारा छठ घाट पर चाय आदि की ब्यवस्था कराकर वितरण कराया।