
धूरिकोट में 27 दिसम्बर को हुई चोरी, आज तक नहीं लिखा मुकदमा
मोटरसाईकिल चोरी का तो नहीं लेते प्रार्थना पत्र
Chandauli news: चोरी लूट छिनैती जैसे घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए पुलिस अधीक्षक आदित्य लांग्हे लगातार थाना प्रभारियों के साथ गूगल मीट बैठक कर होमवर्क करा रहे हैं। जिससे क्राइम कंट्रोल हो सके। लेकिन उनके इस होमवर्क से भी एक कदम आगे निकल गयी सदर कोतवाली पुलिस। यहां क्राइम डैमेज का नया फार्मूला बनाया गया है। जिसका पालन कराया जा रहा है।

पहले से ही थानों में शिकायत करने वालों से पुलिस का ब्यवहार जग जाहिर है। लेकिन सदर कोतवाली में मुकदमा न लिखे जाने का नायाब तरीका बड़े साहब ने ही दे दिया है। अब क्या मजाल जो कोई अब चोरी व लूट की घटना का मुकदमा करा ले। सूत्रों की माने तो साहब ने साफ मना कर दिया है। यही नहीं कोई पुलिस अधीक्षक तक पहुंच गया तो फिर उसे थाने में इंस्पेक्टर के पुलिसिया मधुर बचन का शिकार भी होना पड़ता है। पुलिस अधीक्षक के यहां से शिकायत करने की गुस्ताखी करने वाले ब्यक्ति को पता भी नहीं चलता है और वह कई रिश्तों ( साला से शुरू बाप से लेकर दामाद तक ) से नवाजा जाता है।
केस 1- क्राइम कंट्रोल के इस खेल में पिछले 27 दिसम्बर को धूरिकोट गांव में लगभग 3 लाख रुपये तक कि चोरी हुई थी। पीड़ित डायल 112 को जानकारी दिया। स्थानीय थाना भी पहुंचकर पूछताछ किया। लेकिन अब तक मामले का मुकदमा दर्ज नहीं हुआ।

केस 2- नेशनल हाइवे पर एक ट्रक व कार का टक्कर हो गया। ट्रक चालक व कार सवारों के बीच पुलिस के सामने 09 हजार में समझौता हुआ। इसके बाद कर सवारों ने 15 हजार की मांग शुरू कर दी। जब पीड़ित ने इसकी जानकारी पुलिस अधीक्षक के सीयूजी पर दे दिया। जहां से जब पूछताछ शुरू हुआ तो थाने पहुंचे ट्रक चालक का पुलिस दो मिनट में ही बाप से लेकर दामाद तक का रिश्ता बना लिया।

केस 3- सुनील गुप्ता का 11 दिसम्बर को अस्पताल से मोटरसाइकिल चोरी हो गयी। पीड़ित ने जब इसकी शिकायत सदर कोतवाली में लेकर गया तो पहले तो उसका बेहतरीन अंदाज में स्वागत हुआ। इसके बाद एक दो दिन में मोटरसाइकिल मिलने की पूरी उम्मीद जताते हुए उसे आश्वस्त किया गया। लेकिन एक माह से उपर का समय हो गया। अब तक न मोटरसाइकिल मिली न ही एफआईआर।
विभागीय जानकारों का कहना है जैसे ही एफआईआर लिखी जाती है वह ऑनलाइन दिखने लगता है। अपराध के बैठक में अधिकारी इन मामलों के निस्तारण न होने पर ही ज्यादा फोकस करते है। ऐसे में न मुकदमा लिखा रहेगा ना ही इसपर नजर जाएगी।