अधिकारियों को अंधेरे में रख मानक के विपरीत सदस्य को कराया सम्बद्ध
Chandauli news: भ्रस्टाचार में नया कीर्तिमान स्थापित करने वाले एसडीएम ने टीम के सदस्यों का अधिकारियों को अंधेरे में रखकर नियम कानून के विपरीत सम्बद्धीकरण कराकर लूट पाट को अंजाम देना शुरू कर दिए। हालांकि इसकी शिकायत मिलने के बाद जिलाधिकारी ने इस सम्बद्धिकरण को निरस्त करते हुए भ्रस्टाचार के पर को कतरने की कार्यवाही किया।
डीडीयू नगर में अखिलेश मिश्रा अमीन के पद पर थे। जो तहसीलदार के टीम का हिस्सा हुआ करते थे। इस बीच निवर्तमान तहसीलदार का प्रमोशन हो गया। ऐसे में तहसीलदार के पद से कलेक्ट्रेट सम्बद्ध कर दिया गया। जिसके बाद कुछ मामलों में लेन देन का गुणा गणित प्रभावित हो गया। अब इधर प्रमोशन के बाद एसडीएम के चार्ज के लिए प्रयत्नशील साहब को जब तक डीडीयू नगर में एसडीएम का चार्ज मिलता उसके पहले ही टीम के सदस्य का भी प्रमोशन हो गया। जिसका स्थानांतरण सकलडीहा तहसील में हो गया। इसी बीच भ्रस्टाचार के आकंठ में डूबे इस अधिकारी को एक बार फिर से “दूध के मटकी का…… रखवाला” वाली कहावत चरितार्थ करते हुए डीडीयू नगर जा एसडीएम बना दिया गया। सूत्रों की माने तो अभी आदेश की कॉपी जिलाधिकारी कार्यालय से मिली भी नही थी। लेकिन विशेष सूत्रों द्वारा इसकी जानकारी इस अधिकारी को मिल गयी। इसके बाद उनके पूर्ववर्ती कारिंदे कार्यालयों के बोर्ड को तत्काल बदल दिए।
साहब भी आर्डर मिलने के चंद घण्टे बाद बकायदे चार्ज लेने पहुंच गए। पुरानी टीम के सदस्य गुलदस्ते में फूल की मात्रा बढ़ाते हुए पड़ के हिसाब से गुलदस्ते का साइज साहब को भेंट किये। लेकिन टीम का एक सदस्य उस दौरान उपस्थित नही था। जिसके विषय में जानकारी उपलब्ध कराया गया कि उस सदस्य का स्थानांतरण सकलडीहा हो गया है। इस बात से साहब थोड़ा मायूस हुए क्योंकि उंक्त ब्यक्ति साहब के अनुरूप पार्टी से डील करने में माहिर था।
अब इधर चार्ज लेने के अखिलेश मिश्रा को पुनः डीडीयू नगर में ले आने की कवायद तेज हो गयी। जबकि शासनादेश की बात करें तो प्रमोशन के बाद गृह तहसील में तैनाती नही दी जाती है। लेकिन यहां पूरे शासनादेश की धज्जी उड़ाते हुए। तत्कालीन एडीएम के यहां जोर लगाया गया। जिसका परिणाम रहा कि सकलडीहा से मुग़लसराय 09 फरवरी को सम्बद्ध कर दिया गया। मानक के विपरीत अटैचमेंट के बाद लूट खसोट का दुकान तेजी के साथ चला। जिसका असर हुआ की तहसीलदार के रूप मे किये गए सुरक्षित भूमि के आदेश को ही पलटकर भूमिधरी घोषित कर दिया गया। इसके साथ ही कई ऐसे मामले आये जिसमें यह टीम जमकर लेन देन किया। मामला यहां तक बढ़ गया कि उच्चाधिकारियों तक बात पहुंच गई। जिसके बाद जिलाधिकरी ने 29 फरवरी के दिन कानूनगो के सम्बद्धिकरण आदेश को निरस्त करते हुए भ्रस्टाचार का पर कतरने की कोशिश की गई।