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लापरवाही पर आईजी ने शुरू करायी है प्रारंभिक जांच
Chandauli news: सरकार लाख जतन कर ले कि थाने में आने वाले फरियादियों का बात सुना जाय। उनके समस्याओं का निराकरण कराया जाय। लेकिन अभी भी उनके सरकारी मुलाजिम सरकार इसके विपरीत कार्य करते हुए सरकार की सोच पर गर्म पानी डाल रहे है। यही नही अपने इस ब्यवहार को जग जाहिर करते हुए इस कार्य के लिए सम्मानित होने का डींग भी हांकने से पीछे नही रह रहे ।
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अधिकांश थानों में पीड़ितों को एफआईआर कराना एक कहावत है “पापड़ बेलना” के समान है। ख़या मजाल की पुलिस उनसे ठीक ढंग से ब्यवहार करे। थानों में इस कदर ब्यवहार होता है कि सम्मानजनक ब्यक्ति थाने की ड्योढ़ी भी लांघना पसन्द नहीं करता। हलांकि बहुत परेशान होने की स्थिति में वह किसी का माध्यम ढूंढकर ही थाने जाना पसंद करता है, या फिर उच्चाधिकारियों के यहां जाकर गुहार लगता है। लेकिन थाने अकेले जाने की हिम्मत नही करता। किसी अधिवक्ता तो कोई राजनेता का सहारा लेता है। इसके बाद भी उसका मुकदमा लिखा जाय न्याय मिल सके यह भगवान के हाथ में ही है।
जिसका असर है कि पुलिस से लोग जुड़ना बन्द कर दिए। पुलिस का नेटवर्क धीरे धीरे समाप्त हो गया। जिसका असर है कि चोरी आदि की घटनाओं का अनावरण बन्द हो गया। अपने इस ब्यवहार को पुलिस अपनी सफलता मानती है। आज कल एक इंस्पेक्टर साहब अपने इस ब्यवहार पर खूब ट्रोल हो रहे है। जनपद आगमन के साथ ही उन्हें सदर कोतवाली का चार्ज दे दिया गया इसके बाद यह महोदय यहां पर मोटरसाइकिल चोरी, मारपीट, चोरी, छिनैती जैसे घटना का मुकदमा लिखने से साफ मना कर दिए। इनके हिसाब से जब तक हत्या न हो जाय उसके नीचे का अपराध,अपराध की श्रेणी में नही आता।
अपने इस अनुभव का बखान बकायदा वह शिकायत लेकर आने वालों से करते है। उनका कहना है कि वर्ष 2020 में वह सोनभद्र के कोन थाना पर तैनात थे । जहां उनके चार्ज से पूर्व एक वर्ष में 400 से अधिक मुकदमें लिखे जाते थे। लेकिन वह अपने कार्यकाल में इसकी संख्या 175 के आस पास करा दिए। जिन लोंगो को वह मुकदमा से बचाये ऐसे लोग उनके विदाई में इतना माला पहना दिए कि तीन तीन बार गले से माला निकलना पड़ा था। शायद यहां से विदाई में उन्हें उस रिकार्ड को तोड़ने की लालसा है।
हलांकि पिछले दिनों पुलिस महानिरीक्षक ने थाने के वार्षिक निरीक्षण में भारी लापरवाही पाया। जिसपर इंस्पेक्टर सहित आधा दर्जन के खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू करा दिए है।