
हाईकोर्ट ने सूर्या हॉस्पिटल के लापरवाही पर राज्य सरकार को किया तलब
Chandauli news: सूर्या हॉस्पिटल के चिकित्सक की लापरवाही व अन्य शिकायतों की जांच में जिला स्तरीय अधिकारी भले ही हॉस्पिटल संचालक के साथ गलबहियां कर लिए हों लेकिन उच्च न्यायालय ने इसे गम्भीरता से लिया है। हाईकोर्ट ने शख्ती दिखाते हुए राज्य सरकार को भी तलब कर लिया है। कोर्ट ने सीधे प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी को हलफमनामा देने के लिए निर्देश दिया है।

बतादें की संजय नगर में संचालित सूर्या हॉस्पिटल ट्रामा सेंटर के नाम से जीटी रोड पर संचालित होता है। इसमें सैयदराजा के जेवरियाबाद गांव के वागीश सिंह नागवंशी की पत्नी को तेज बुखार होने की स्थिति में परिजन इस अस्पताल में अपने मरीज को लेकर गए। जहां मरीज विभा सिंह को अस्पताल के कर्मचारियों ने भर्ती करा लिया। परिजनों का आरोप है कि 24 घण्टे तक भर्ती करने के बाद भी कोई चिकित्सक मरीज को नही देखा। बल्कि 24 घण्टे बाद अस्पलात के एक मात्र चिकित्सक गौतम त्रिपाठी जो कि हड्डी रोग विशेषज्ञ है यह हॉस्पिटल में आये और मरीज की गम्भीर स्थिति देख उसे वेंटिलेटर पर रखने की बात कहते हुए मरीज को बिना ऑक्सीजन के दूसरे अस्पताल के लिए रेफर कर दिए। जिससे मरीज की कुछ दूर जाते ऑक्सीजन के अभाव में मृत्यु हो गया।
वागीश ने इसकी जानकारी अपने भाई व अधिवक्ता हाइकोर्ट राज्य सलाहकार अधिकारी आशीष नागवंशी को दिया। इसके बाद चिकित्सक व अस्पताल के लापरवाही की शिकायत शासकीय अधिवक्ता ने जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक व सीएमओ से करते हुए जाँच कर विधिक कार्यवाही की मांग किया। अधिवक्ता ने यह भी आरोप लगाया कि यह अस्पताल फर्जी ढंग से संचालित है। उन्होंने तर्क दिया कि जिस समय उनके मरीज को अस्पताल में भर्ती किया गया था। उस अस्पताल का रजिस्ट्रेशन फेल हो चुका था। बावजूद । मरीजों को अंधविश्वास में डालकर अस्पताल का संचालन किया जा रहा है।
अधिकारियों से शिकायत के बाद अमूमन जिस गम्भीरता से आला अधिकारी शिकायती पत्र पर सम्बंधित को जांच का आदेश करते है। उस शिकायत पत्र पर भी उसी तरिके का आदेश कर कोरमपूर्ती कर ली गयी। जांच कर्ता अधिकारी जिसके पास अस्पताल की पूरी कुंडली रखी हुई है। वह विभाग अस्पताल संचालक को नोटिस देते हुए विभिन्न शिकायती पत्र के लिए कागजात का मांग किया। लगभग दो माह तक विभाग व अस्पताल संचालक के बीच यह खेल चलता रहा। इधर सत्ता पक्ष में सञ्चालक के मजबूत पकड़ का असर रहा कि जनपद के वरिष्ठ अधिकारी जांच करने के बजाय गलबहियां करने में भी कोई गुरेज नही समझे।
जनपद स्तरीय अधिकारियों के भाव भंगिमा को देखते हुए वागीश नागवंशी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए। राज्य सरकार को तलब किया। जिसमें 15 जुलाई को कोर्ट ने तलब किया था। लेकिन राज्य सरकार की तरफ से कोई हाजिर नही हुआ। इसपर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए खंडपीठ ने प्रमुख सचिव चिकित्सा, सूर्या हॉस्पिटल के संचालक, डॉक्टर को 17 अगस्त के दिन व्यक्तिगत हाजिर होने के लिए आदेश किया है। वहीं इस मामले में मेडिकल काउंसिल बोर्ड ने भी अस्पताल के संचालक, चिकित्सक स 26 जुलाई को सभी कागजात के तलब किया है।