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महाकुम्भ में ₹2500- 4000 तक लेते थे किराया, अब ₹250 के लिए हुए मोहताज

महाकुम्भ समापन के बाद नाविक व टोटो के लिए यात्रियों का टोटा

Praygaraja news: महाकुम्भ में 45 दिनों तक सीधे मुंह बात न करने वाले अब यात्रियों की राह देख रहे है। स्थिति यह है कि कुछ तो ऐसे भी जिनकी बोहनी भी नहीं हो पा रही है।  महाकुंभ में करीब 10 हजार प्राइवेट और 860 सरकारी नावों का पंजीकरण किया गया था। लेकिन इसके बाद भी यह सामान्य लोंगो के हाथ नहीं लगते थे  संगम स्नान नाय के सहारे जाने की इच्छा पाले अधिकांश लोग मायूस हो जाते थे या फिर ₹2500 से ₹4000 प्रति ब्यक्ति खर्च कर संगम नोज पर स्नान कर पाते थे। यही स्थिति टोटो संचालकों की भी रही। जो लोकल सवारियों को भाव नही देते थे। जिसका लाभ मोटरसाइकिल गैंग ने उठाया।  इस दौरान शिकायतों के बाद भी पुलिस और मेला प्रशासन के अधिकारी बेबस और लाचार बने रहे।

26 फरवरी के बाद महाकुम्भ स्नान का समापन हो गया। इसके बाद अब संगम आने जाने वालों के संख्या में कमी आ गयी है। स्थिति यह हो गयी कि 2500 से नीचे में सवारी न बैठाने वाले को अब 250₹ में भी सवारी नहीं मिल रहे। जबकि शासन ने नाविकों के लिए किराया निर्धारित किया था  जिसमें बलुआ घाट से संगम 150 रुपये, गऊ घाट से संगम 120, इमली घाट से संगम 115, मिटों पार्क घाट से संगम 115, मनकामेश्वर से संगम 115, सरस्वती घाट से संगम 115, किला घाट से संगम 90, अरैल घाट से संगम 75, मेला मैदान से संगम 75, सोमेश्वर घाट से संगम 60, गंगा, यमुना पार से संगम 60, शंख बेनी घाट से संगम 60, रामघाट झूंसी से संगम 55 और राजघाट से संगम 55 रुपये किराया तय किया गया था। यही नहीं नाविकों के लिए जिला प्रशासन के लोग भी लाइन में लगे रहते थे।

महाकुंभ के दौरान मेला प्रशासन की ओर से निर्धारित दरों की सूची कुछ स्थानों पर लगाई गई थी। लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा था। इस संबंध में मेलाधिकारी विजय किरण आनंद का कहना है कि नाविकों की मनमानी संबंधी कई मामलों में कार्रवाई हुई हैं।

मृत्युंजय सिंह

मैं मृत्युंजय सिंह पिछले कई वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्रों में कार्य करने के उपरान्त न्यूज़ सम्प्रेषण के डिजिटल माध्यम से जुडा हूँ.मेरा ख़ास उद्देश्य जन सरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से उठाना एवं न्याय दिलाना है.जिसमे आप सभी का सहयोग प्रार्थनीय है.

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