जिले में सूखे का मंडराने लगा बादल

पिछले 11 वर्ष में पहली बार सबसे कम बारिश का बना रिकार्ड
Chandauli news: धान के कटोरे से सुविख्यात जिले के किसानों का कमर कम बारिश ने तोड़ दिया। पिछले 11 वर्ष के रिकार्ड में जून- जुलाई माह में सबसे कम बारिश का औसत रिकार्ड दर्ज हुआ है। धीरे धीरे सूखे के कगार पर पहुंच गया है। किसानों की फसल बारिश के अभाव में सूखने लगी है।
धान किसानों का मुख्य फसल है। जिसकी बदौलत जिला धान का कटोरा कहा जाता है। लेकिन इस बार औसत से कम बरसात किसानों के फसल को बर्बाद कर दिया है। अब तक जून माह में जहां मात्रा 29.33मिमी बरसात हुआ है। वहीं जुलाई माह वर्ष 2011 के बाद सबसे कम बरसात 84 मिमी हो पाया है। जबकि अनुमान 307 मिमी का है। वर्ष 2011 में 87.93 मिमी बारिश हुई थी। उसके बाद से निरन्तर जुलाई माह में ठीक ठाक बारिश होती थी। जिससे किसानों के धान की फसल लहलहाने लगती थी। वर्ष 2011 के बाद 2012 में 165.99मिमी, 2013 में 113, 2014 में 102.67, 2015 में 174.07, 2016में 342, 2017 में 258.13, 2018 में 118.10, 2019 में 187.14, 2020 में 137.06, 2021 में 109 व 2022 में 277 मिमी बरसात हुयी थी। मौसम को लेकर वैज्ञानिकों से लेकर सरकार तक पसोपेश में है। जबकि महाकवि घाघ की कहावतों को याद करें तो प्रकृति का लक्षण सूखे की सूचना दे रहा है। सावन माह के 15 दिन से ऊपर बीत गए लेकिन बारिश का कोई आसार नही दिख रहा। किसी तरह निजी साधन से किसान धान की फसल लगा दिए है लेकिन बारिश का पानी न मिलने से उसकी पत्तियां पीली पड़ने लगी हैं।
इधर जब वर्षा मापी यंत्र नही था उस समय जुलाई माह के इस लक्षण पर मौसम के पूर्वानुमान मालूम करने के गुर घाघ ने दोहों में लिखे थे। महाकवि घाघ ने लिखा है- “दिन को बादर रात को तारे, चलो कंत जहं जीवें वारे“अर्थात यदि दिन में बादल होते हैं और रात में तारे दिखाई पड़ रहे हों तो ऐसी हालत देखकर किसान की पत्नी कहती है समय अच्छा नहीं होगा अकाल के लक्षण हैं। इसलिए हे कंत यहां छोड़कर किसी ऐसी जगह चलो जहां खाने-पीने का प्रबंध हो। इधर पिछले कई दिनों से दिन में तो बादल आकर बारिश की उम्मीद तो जगा रहे हैं, लेकिन रात्रि में तारे निकल रहे हैं।
घाघ ने यह भी लिखा है- “सावन मास बहै पुरवाई, बरधा बेंचि बेसाहो गाई” अर्थात जब सावन में पूर्वा हवा चले तो समझो सूखा पड़ेगा। ऐसे में किसान को चाहिए कि वह बैल बेच कर गायें खरीद ले क्योंकि वर्षा न होने की स्थिति में गाय से वह अपना निर्वाह कर लेगा। इसी प्रकार लिखा है – जेठ मास बहै पुरवाई, समझो सावन सूखा लाई। इस बार जेठ में भी पूर्वा हवा चली है और इन दिनों (सावन में) भी पूर्वा हवा ही चल रही है। घाघ ने यह भी लिखा है -“सावन सूखा स्यारी, भादों सूखा उन्हारी “अर्थात सावन का सूखा (अवर्षण) स्यारी (खरीफ) की फसल चौपट करता है। जबकि भादौं का सूखा रबी की फसल को नष्ट करता है।घाघ की इन कहावतों के आधार पर आसानी से सूखे का अंदाजा लगाया जा सकता है।
क्या कहते है अधिकारी: इस सम्बंध में अपर जिलाधिकारी उमेश मिश्रा का कहना है कि शासन में वर्षा का औसत रिकार्ड भेजा जा रहा है। वहां से दिशा निर्देश मिलने पर आपदा घोषित किया जाएगा।