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नरही की तरह सैयदराजा, चन्दौली व अलीनगर थाने पर भी ट्रकों से गिराया जाता है पैसा

एक दिन की कमाई देखकर पागल हो चुके हैं कुछ थानेदार और सिपाही

अवैध धन के मामले में उर्वरा भूमि होने से खुशी से विह्वल रहते हैं पुलिस के लोग

Chandauli news: बलिया जिले के नरही थाने ने अवैध धन उगाही की पोल खोल दिया। कुछ ऐसा ही मामला इस जिले के जीटी रोड़ के थानों की है। उसमें सबसे अच्छी स्थिति सैयदराजा थाने की है। यह भी प्रदेश का दूसरा नरही थाना हो सकता है। यह बात अलग है कि यहां थानेदार के कहने पर पोस्टिंग होगी ऐसा बंधन नही है । उत्तर प्रदेश – बिहार सीमा पर स्थित इस थाना क्षेत्र से पशु तस्करी, शराब तस्करी और नशीले पदार्थ के साथ ही बालू वाले इस पार से उस पार करने के लिए बकायदा ट्रकों से पैसा गिराते हैं।

शानदार लग्जरी गाडियों से इतनी रकम दे दी जाती है। जिससे पूर्व में कुछ थानेदार और पुलिसकर्मी अपना होशोहवास ही खो बैठे। नौकरी में वर्षों तक विभिन्न थानों पर गुजारने के बाद जब यहां सिक्कों की बेहिसाब खनक देखे तो बदहवास से हो उठे उन्हे इस बात का तनिक भी अंदाजा नही था कि एक -एक दिन में इतना पैसा आयेगा। जिसका असर हुआ कि दशक पूर्व  इस थाने पर पोस्टिंग के लिए बकायदे टोकन कटने लगे थे। लेकिन यहां नरही जैसी कार्यवाही अब तक नही हुई। यह तो एक संयोग है कि अपर पुलिस महानिदेशक के पहल पर पुलिस उपमहानिरीक्षक आजमगढ ने बिना पुलिस अधीक्षक को बताये नरही थाने पर छापामार कारवाई कर दिया। अन्यथा स्थिति दूसरी रहती।

इस तरह से गौ तश्कर थानों को पैसा देकर पार कराते है गाड़ी (वीडियो 18/5/24)

वरिष्ठ अधिकारियों ने आखिर कैसे इतने दिनों बाद इस खुला खेल काअचानक भंडाभोड कर दिया। क्योंकि  यहां जीटी रोड से लगायत चन्दौली, अलीनगर व सैयदराजा थाने के अलावा एक दर्जन चौकियों पर कार्य भार ग्रहण करनेवाले काफी प्रभाव का इस्तेमाल करके यहां पहुंचते हैं। कुछ तो आते ही ताबडतोड कारवाई करने लगते हैं। जिससे लोगों में उम्मीद जगती है। शायद यह पहले वाले जैसे नहीं हैं। लेकिन कुछ दिन बाद ही यह राज खुल जाता है। यह मलाईदार जगह पाने के लिए यह लोग कई जगह मलाई का पुरुवा चटाकर आये हैं। इससे यह सब तेजी इसलिए दिखा रहे हैं कि जो भी माल आ रहा है। वह साहब के तेवर को देखते हुए तत्काल दूना हो जाय। एक ट्रक माल की अवैध तस्करी करनेवाले यह रुख देखते ही गाडियों की संख्या बढा देते हैं। दोनों तरफ मामला सेट हो जाता है। तस्करी करने वाले भी दूनी कमाई से प्रसन्न। इधर साहब लोग भी दूना माल आने से प्रसन्न हो जाते हैं।
इन मलाईदार क्या रबडीदार थानों पर किसी के सौजन्य से पोस्टिंग को यह लोग अपने पूर्व जन्म के किसी सुकर्म का फल मानते हैं। इन थानों पर कार्य करनेवाले थानेदार और सिपाही की कौन कहे। होमगार्ड तक की हैसियत बदल जाती है। यही हाल इक्कादुक्का अधिकारियों को छोड दिया जाय। तब सर्किल और जिले से लेकर परिक्षेत्र तथा जोन तक के अधिकारी भ्रष्टाचार के इस कर्मनाशा में जमकर गोते लगाये हैं। अब बलिया के नरही थाने से पिटारा खुला है। तब यह शायद इस जिले में भी कितनो की कलई खोल देगा। फिलहाल इसका उत्तर समय के गर्त में है।

मृत्युंजय सिंह

मैं मृत्युंजय सिंह पिछले कई वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्रों में कार्य करने के उपरान्त न्यूज़ सम्प्रेषण के डिजिटल माध्यम से जुडा हूँ.मेरा ख़ास उद्देश्य जन सरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से उठाना एवं न्याय दिलाना है.जिसमे आप सभी का सहयोग प्रार्थनीय है.

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