
बाबू से हो सेटिंग तो कुछ भी सम्भव
जिसके कंधे पर कलेक्ट्रेट की जिम्मेदारी उनके ही करीबी गाड़ी के ठेकेदार
Chandauli news: रंग पेंट से चमचमाती गाड़ी भले ही सामने से देखने में नई जैसी लग रही है। लेकिन कागज इस गाड़ी का स्वास्थ्य (फिटनेस) फेल है। ऐसी गाड़ी जिले के मुखिया को चलने के लिए ठेकेदार द्वारा दिया गया है। लापरवाही का आलम यह है जिनके कंधे पर इसकी जिम्मेदारी है उनके ही किसी करीबी ने गाड़ी का टेंडर लिया है। फिटनेस, बीमा प्रदूषण सब फेल होने की जानकारी के बाद भी इस अपराध को रोकने वाले इस बात से मौन है कि जब जिले के मुखिया ही उसमें सवार है तो फिर कौन चलान व सीजर की कार्यवाही करेगा।

सरकारी नम्बर (जी) सीरिज की गाड़ियों का तो बीमा वैसे भी नहीं होता। लेकिन अब अधिकांश सरकारी कार्यालयों में अब टेंडर प्रकिया के तहत निजी वाहनों को सम्बन्ध किया जा रहा है। उसी क्रम में जिलाधिकारी अपर जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी के लिये इनोवा गाड़ी हायर की गयी।

सूत्रों की माने तो वाहनों के टेंडर में जिलाधिकारी कार्यालय में जिम्मेदार पद पर तैनात एक बाबू के करीबी ठेकेदार है। जिसका लाभ यह है अपर जिलाधिकारी की गाड़ी तो बिना मानक के ही सम्बद्ध कर ली गयी। जबकि जिलाधिकारी की गाड़ी up 65 एलटी 1938 रंग पेंट से तो लकदक है। लेकिन कागजी तौर पर पूरी तरह से बीमार (अनफिट) है। गाड़ी वाराणसी परिवहन सम्भाग में 29 अगस्त 2022 को रजिस्टर्ड हुई। जिसका फिटनेस 28 अगस्त 2024 तक के लिए था। टैक्सी नम्बर की गाड़ी का परिवहन टैक्स की तिथि 31 अक्टूबर 2022 को ही समाप्त हो गयी। यही नहीं प् कार का बीमाव प्रदूषण दोनों 28 अगस्त 2023 को समाप्त है। 15 महीने से बिना बीमा के यह गाड़ी जिलाधिकारी को लेकर जिला ही नही बल्कि कमिश्नरी यहां तक कि राजधानी तक कि यात्रा कर चुकी है। पूरी तरह से कागजात पर अनफिट वाहन जिलाधिकारी को चलने के लिए उपलब्ध कराया गया है।