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रक्षाबंधन: 30 अगस्त को मात्र एक घण्टे का शुभ मुहूर्त

31 अगस्त को पूरे दिन बांधा जा सकता है राखी

 Chandauli news: भाई बहन के रिश्ते की डोर रक्षाबंधन के मुहूर्त को लेकर बहनें सशंकित है।भद्रा काल को लेकर परेशान बहनें ज्योतिष व धर्मगुरुओं से इस परेशानी का हल पूछ रही है। रक्षाबंधन पर भद्रा काल की नजर न हो इसके लिए कर्मकांड के विद्वान वैदिक पंडित कौशलेन्द्र पांडेय ने शास्त्र सम्वत मुहूर्त के विषय मे बताते हुए कहते है कि 30 अगस्त को रात्रि 8:58 से 09:54 तक कर सकते है। जबकि 31 अगस्त को पूरे दिन राखी बांधा जा सकता है। उनका कहना है कि…..

द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा…श्रावणी नृपतिं हन्तिं ग्रामं दहति फाल्गुनी॥भद्रां विना चेदपराह्ने तदा परा। तत्सत्वे तु रात्रावपीत्यर्थ:॥(धर्मसिन्धु, निर्णय सिंधु व अन्य ग्रंथ) अर्थात~ भद्राकाल में रक्षाबंधन करने से देश के राजा व घर के प्रधान का नाश होता है। वही भद्रा काल में होलिका दहन करने से गांव की हानि होती है। यदि भद्रा रात्रि में भी समाप्त होती हो तो भद्रा के उपरांत ही रक्षाबंधन करें।

पंडित कौशलेन्द्र ने कहा कि भद्रा काल के विषय मे सिंधुकार स्वर्गीय महाउपाध्याय पंडित विद्याधर गौड़ जी ने श्रावणी कर्म उपयोगी संक्षिप्त निर्णय म् बताया है कि…भद्रायोगे रक्षाबंधनस्यैव निषेधात्।एवं प्रतिपद्योगोऽपि न निषिद्ध:॥ अर्थात~ भले ही रक्षाबंधन प्रतिपदा से युक्त हो परंतु सम्पूर्ण भद्रा का त्याग तो दूर से ही कर देना चाहिये। इस वर्ष ३० अगस्त २०२३ को रात्रि में राखी बांधने पर कहते है कि इसमें भी एक घण्टे ही शुभ है। 30 को रक्षाबंधन रात्रि में करना शास्त्र सम्मत है।क्योंकि रक्षाबंधन देव कार्य है जिसे दिन में ही करना उचित रहता है। किन्तु दिनगत कर्म के संबंध में धर्मसिंधु व नागदेव का वचन है कि किसी कारणवश दिन के कर्म, यदि दिन में ना किया जा सके तो रात्रि के प्रथम प्रहर तक अवश्य कर लेने चाहिए। इसलिए 8:58 से रात्रि 9:54 तक भद्रा उतरने के बाद प्रथम पहर है। पूर्णिमायां_भद्रा_रहितायां_त्रिमुहूर्त्ताधिकोदव्यापिनीयां_अपराह्ने_प्रदोषे_वा_कार्यम्॥दय_त्रिमुहूर्त्त_न्यूनत्वे_पूर्वेद्युर्भद्रा_रहिते_प्रदोषादि_काले_कार्यम्तत्सत्वे_तु_रात्रावपि_तदन्ते_कुर्यात्। ( धर्मसिंधु व निर्णय सिंधु) अर्थात~ भद्रा रहित और तीन मुहूर्त से अधिक उदयकाल व्यापनी पूर्णिमा के अपराह्न या प्रदोष काल में करें।

यदि तीन मुहूर्त से कम हो तो न करें! ऐसी परिस्थिति में जब भद्रा बीत जाए,फिर चाहे रात्रि में ही बीते,तब रक्षाबंधन करें… रात्रौ_प्रहर_पर्यन्तं_दिनोक्तकर्माणि_कुर्यात्॥(धर्म सिंधु तृतीय परिच्छेद पूर्वार्द्ध ) दिवोदितानि_कृत्यानि_प्रमादादकृतानि_वै।शर्वर्याः_प्रथमे_भागे_तानि_कुर्याद्यथाक्रमम्॥ (नागदेव) क्योंकि काल माधव कहता है.. या_तिथिससमनुप्राप्य_उदयं_याति_भास्करः।सा_तिथिः_सकला_ज्ञैया_स्नान-दान_व्रतादिषु॥उदयन्नैव_सविता_यां_तिथिम्_प्रतिपद्यते।सा_तिथिः_सकलाज्ञेया_दानाध्यन_कर्मसु॥अर्थात~ सूर्योदय के बाद तिथि चाहे जितनी हो उसी दिन को व्रत-पूजा-यज्ञ अनुष्ठान-स्नान और दानादि के लिए संपूर्ण अहोरात्र में पुण्य फल प्रदान करने वाली माना गया है। (श्राद्ध कर्म को छोड़कर)

मृत्युंजय सिंह

मैं मृत्युंजय सिंह पिछले कई वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्रों में कार्य करने के उपरान्त न्यूज़ सम्प्रेषण के डिजिटल माध्यम से जुडा हूँ.मेरा ख़ास उद्देश्य जन सरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से उठाना एवं न्याय दिलाना है.जिसमे आप सभी का सहयोग प्रार्थनीय है.

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