27 फरवरी को निर्माण एजेंसी चयन के लिए होगा टेंडर
Chandauli news: जनपद न्यायालय निर्माण में हो देरी पर उच्च न्यायालय ने सख्ती दिखाई है। अब तक न्यायालय भवन का हाईकोर्ट के निगरानी में भवन निर्माण का नक्शा पास न होने का बहाना बनाकर इस कार्य को अधर में लटकाया गया था। जिसके लिए न्यायालय संघर्ष समिति ने चन्दौली से लखनऊ फिर दिल्ली तक पैदल यात्रा कर अपना आक्रोश जताया था।
न्यायालय निर्माण के लिए कलेक्ट्रेड से सटे जसुरी और धुरीकोट मौजा में कृषि विभाग व किसानों के जमीन को अधिग्रहित किया गया है। जिसपर आधा अधूरा बाउंड्रीवाल का कार्य, मुख्य गेट भी लगा दिया गया है। लेकिन अब तक भवन निर्माण का कार्य शुरू नही हो पाया है।
न्यायालय भवन न होने के कारण तहसील बिल्डिंग व शिक्षा विभाग की कमरों में अवैध रुप से अतिक्रमण कर न्यायालय का कार्य हो रहा है। भवन निर्माण के लिए जमीन व पैसा उपलब्ध होने के बाद भी निर्माण शुरू नही हो सका। इसके लिए अधिकारी व जनप्रतिनिधि कभी हाईकोर्ट से नक्शा पास न होने तो कभी बजट का अभाव होने की बात कर मामले को लटकाए पड़े थे।
हाईकोर्ट के सख्ती के बाद निर्माण के लिए कागज के घोड़े को एक बार फिर से दौड़ाया गया है। जिसमें 511 करोड़ की लागत से 37 कोर्ट का निर्माण के लिए एजेंसी के लिए 27 फरवरी तक टेंडर के माध्यम से चयन करने व 18 माह से तीन वर्ष में निर्माण पूरा कराने का शर्त रखा गया है।
न्यायालय निर्माण के लिए दिल्ली तक पैदल यात्रा: न्यायालय निर्माण के लिए एक माह तक अधिवक्ताओं ने धरना प्रदर्शन किया था। इसके बाद भी कोई ठोस अस्वासन न मिलने पर अधिवक्ताओं ने शव यात्रा, बुद्धि शुद्धि यज्ञ के बाद जिला मुख्यालय से चार सदस्यीय टीम झनमेजय सिंह के नेतृत्व में पैदल यात्रा कर न्यायालय भवन निर्माण के लिए शासन का ध्यान आकृष्ट करने लिए लखनऊ फिर वहां से दिल्ली तक यात्रा किये थे।