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काश! साहब लिख लिए होते मुकदमा तो मिल गयी होती मोटरसाइकिल

पीड़ित ने मोटरसाइकिल चोरी का दिया प्रार्थना पत्र तो भगा दिए थे इंस्पेक्टर

चोरी गयी मोटरसाइकिल दुर्गावती थाने में बरामद, भुक्तभोगी की स्थिति न “घर का न घाट का”

Chandauli news: काश! साहब अपने आदत में पिछले दो वर्ष से अधिक समय से चार्ज बिहीन होने के बाद स्वाभाव में कुछ सुधार कर लिए होते तो आज गरीब आदमी का भला हो गया होता। लेकिन यहां तो मुकदमा न लिखने के बाद भी तीन तीन बार माला उतारने वाले साहब को अपना वही अंदाज पसंद है। उनके इस स्वाभाव से भले ही न्याय की आस लेकर आने वालों को मुसीबत का सामना करना पड़े। इससे उनके उपर कोई फर्क नही पड़ता।

एक तरफ एसपी,आईजी, एडीजी से लेकर पुलिस विभाग के वरिस्ठ अधिकारी जनता से अच्छा ब्यवहार करने का निर्देश दे रहे। लेकिन यहां उनके मातहत सरकार के जीरो टारलेन्स योजना का हवा निकाल रहे है। अदिकरियों के कृपा पत्र ऐसे कुछ लोंगो को यह गुमान है कि उनसे ज्यादा  बड़े साहब के करीबी कोई है नही। जिसके कारण एक एक अलग निर्देश चल रहा

फोटो: पीड़ित द्वारा दिया गया प्रार्थना पत्र जिसपर नही हुई कार्यवाही

मुकदमा न लिखने की जिद के कारण गरीब ब्यक्ति मोटसाइकिल चोरी होने फिर बरामद होने के बाद भी अपने गाड़ी को केवल दूर से देख सकता है। लेकिन फिर से उसे पाने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ेगी। दिसम्बर माह में वाजिदपुर निवासी सुशील गुप्ता की मोटरसाइकिल संख्या up 67v 5287 हॉस्पिटल से चोरी हो गयी। जिसके बाद पीड़ित सदर कोतवाली पहुंचकर मोटरसाइकिल चोरी का एफआईआर लिखाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया।

इधर साधब का फरमान की कोई भी एफआईआर उनके बिना आदेश के नही लिखा जाएगा। क्योंकि लंबित मामले में उच्चाधिकारियों की डांट सुननी पड़ती है। साहब डाँट न सुन पाए इसके लिए थाने में मुकदमा लिखना कम हो गया। अब मोटरसाइकिल चोरी का प्रार्थना पत्र लेकर पीड़ित टहलने लगा। लेकिन मुकदमा नहीं लिखा गया।

मोटरसाइकिल चोरी होने के लगभग 40 दिन बाद मोटरसाइकिल बिहार के दुर्गावती थाने में चोर के साथ वहां की पुलिस बरामद कर ली। जिसकी जानकारी पीड़ित को तब हुआ जब उंक्त मोटरसाइकिल के मालिक का पता लगाने के लिए पुलिस ने पूछताछ किया। इसके बाद एफआईआर कॉपी लाकर वाहन को न्यायालय से रिलीज कराने के लिए कहा। इधर यहां चोरी का एफआईआर ही पंजीकृत नही है। ऐसे में अब स्थिति यह हो गयी ही कि ..का कुत्ता…. घर का न घाट का वाली स्थिति हो गयी है।

मृत्युंजय सिंह

मैं मृत्युंजय सिंह पिछले कई वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्रों में कार्य करने के उपरान्त न्यूज़ सम्प्रेषण के डिजिटल माध्यम से जुडा हूँ.मेरा ख़ास उद्देश्य जन सरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से उठाना एवं न्याय दिलाना है.जिसमे आप सभी का सहयोग प्रार्थनीय है.

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