महागठबंधन प्रत्याशी को 2019 में 15 हजार से मिली थी हार
Chandauli news: लोकसभा चुनाव में चन्दौली लोकसभा से समाजवादी पार्टी ने वीरेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाकर भले ही राजनीतिक गलियारे में हलचल पैदा कर दिया है। लेकिन समाजवादी पार्टी का आपसी कलह वीरेंद्र के दिल्ली पहुंचने में काफी रोरा बनने वाला है।
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के विपक्ष में अभी राजनैतिक पार्टियां महागठबंधन के तहत चुनाव मैदान में थी। स्थिति यह हुई कि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी 15000 वोट से चुनाव हार गए। इस बार इस चुनाव में सपा ने पीडीए गठबंधन के तहत वीरेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाकर ठाकुर वोट में सेंधमारी करने का प्रयास किया है। लेकिन सपा के हाईकमान के निर्णय का विरोध जनपद में शुरू हो गया।
पूर्व सांसद रामकिशुन ने मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने प्रत्याशी को लेकर कहा कि क्षत्रिय जाति का चेहरा चुनाव मैदान में उतारना था तो पार्टी में ओमप्रकाश सिंह इसके लिए सबसे फिट थे। मतलब यह साफ है कि रामकिशुन का खेमा इस टिकट बंटवारे से काफी नाराज है। रामकिशुन एक कई नेता है जो किसी भी बाजी को पलटने का आमादा रखते है। इसके पूर्व विधानसभा चुनाव में उनकी नाराजगी ने न सिर्फ सपा प्रत्याशी के जीत का रास्ता रोकवा दिया। बल्कि नपं चुनाव में भी इसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा।
इसके साथ ही 2019 में ओमप्रकाश राजभर, बाबू सिंह कुशवाहा , दारा चौहान, बहुजन समाज पार्टी ने महागठबंधन के साथ मिलकर साथ दिया था। जो स्थिति इस बार के चुनाव में काफी अलग है। एक बार फिर से ओमप्रकाश राजभर एनडीए गठबंधन का हिस्सा है। इसके अलावा अभी एक भूमिहार समाज से धर्मेंद्र सिंह को एमएलसी का टिकट भाजपा दी है। साधना सिंह विधानसभा का टिकट कटने के बाद नाराज थी। जिनकी नाराजगी दूर करने के लिए उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाया गया है।
भाजपा के इस चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए वीरेंद्र को अभिमन्यु बनाकर मैदान में उतारा लेकिन पहले फाटक में ही फुटमत का सामना करना पड़ रहा है।