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“एकोहम द्वितीयोनास्ति” का महत्वाकांक्षा ने गड़बड़ा दिया निकाय का परिणाम

बागियों से की गई होती बात तो चुनाव परिणाम होता भाजपा के खाते में

Chandauli: नगर निकाय चुनाव में शनिवार को जो चौकाने वाला परिणाम आया इसका किसी भी दल ने कल्पना नही किया होगा। मुगलसराय जिसे बदलकर डीडीयू नगर कर दिया गया। अपने पुराने नाम से जाना जाने वाला यह शहर और यहाँ की जनता ने एक इतिहास रच दिया। जहाँ राजनीतिक पार्टी के प्रत्याशियों को नजरअंदाज कर एक किन्नर को नगर पालिका परिषद का प्रथम नागरिक चुन दिया। वहीं चन्दौली नगर पंचायत में भी भाजपा सत्ता दल के प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। यह सब एक दिन में नही बल्कि अपने जनप्रतिनिधियों से उपेक्षा का शिकार होते लोगों ने निर्णय लिया। सदर नगर पंचायत की सीट तो मंत्री के महत्वाकांक्षा में हाथ से निकल गयी। नगर पंचायत चुनाव परिणाम के बाद पार्टी के लोंगो आपस मे  समीक्षा कर रहे थे। जिसमें पार्टी के अंदर जो बगावत का उबाल था। उसका सीधा असर देखने को मिला। पार्टी के कार्यकर्ताओं का उपेक्षा करते हुए एकोहम द्वितीयोनास्ति की परंपरा ने भविष्य के लिए एक बड़ी सिख दिया।

पार्टी के वरिष्ठ जनों का मानना है कि इस समय पार्टी में शरणागत परम्परा काम कर रही ही। जिससे आक्रोश है। उन लोंगो का मानना है पहले  जमीनी कार्यकर्ताओ से रिपोर्ट लेती थी। लेकिन वर्तमान की स्थिति यह हो गयी है कुछ चंद लोंगो के चाटुकारिता में समीक्षा सिमट गई है। इनका मानना है कि विधानसभा चुनाव पार्टी स्तर का चुनाव होता है। जबकि निकाय चुनाव प्रत्याशी व स्वयं के ब्यवहार का चुनाव होता है। इसमें छोटी छोटी बातें बड़ी निर्णायक हो जाती है। लेकिन लोक सभा व विधानसभा का चुनाव प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम पर लड़ने वाले व जीत का सेहरा बांधकर उच्चपदस्थ होने के बाद स्वयं भू समझने की भूल कर गए।

भारतीय जनता पार्टी में अपना पूरा जीवन व्यतीत करने वाले के बाद एक बुजुर्ग ने नगर निकाय के परिणाम को लेकर  काफी ब्याथीथ थे। उन्होंने बताया कि पहले पार्टी में समर्पण भाव के बाद कोई पद मिलता था। जो उस जिम्मेदारी का निर्वहन कर सके। लेकिन आज की स्थिति बिल्कुल अलग हो गयी है। आज चरण वंदना करने वाले लोगों की पूछ है। निकाय चुनाव परिणाम में 412 मत से हार जीत के निर्णय पर कहा कि यह चुनाव मंत्री व विधायक के महत्वाकांक्षा के कारण हाथ से निकल गया है। इसे गम्भीरता से लेने की बजाय मंत्री ने भी हल्कापन दिखाया। जबकि विधायक ने सारी हद पार कर दिया। दिखावे का यह चुनाव नही होता।

मंत्री जी तो पूरे चुनाव में अपनी सहभागिता नही दिखाई। मतगणना के एक दिन पूर्व नगर में घूम कर समर्थन मांगा। जबकि थोड़ा भी गम्भीर हुए होते तो यह चुनाव भाजपा के खाते ।के जाने से कोई नही रोक सकता था। उन्होंने बताया कि भाजपा से टिकट न मिलने पर रत्ना सिंह बगावत कर आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ी थी। रत्ना से बैठकर बात किया गया होता। सुदर्शन सिंह भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ गए थे। इन्हें भी बात चीत से मनाया जा सकता था।

मृत्युंजय सिंह

मैं मृत्युंजय सिंह पिछले कई वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्रों में कार्य करने के उपरान्त न्यूज़ सम्प्रेषण के डिजिटल माध्यम से जुडा हूँ.मेरा ख़ास उद्देश्य जन सरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से उठाना एवं न्याय दिलाना है.जिसमे आप सभी का सहयोग प्रार्थनीय है.

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