वर्ष भर में शायद ही लिखते का दिखाते हों कोई एक खबर
Chandauli news: “मसि कागज छुयो नहीं, माइक आईडी लियो हाथ, खबरों से सरोकार नहीं बन बैठे पत्रकार” । समाज में सजग व लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप में पहचान पाए इस स्तम्भ में घटिया व फर्जी फिकेशन से निरंतर गिरावट ला दिया। अब पत्रकारिता में समाज के समस्याओं से कोई सरोकार नही रह गया है। मुद्रा मोचन कहां से हो इसपर पूरी ऊर्जा खर्च कर रहें है। इसके लिए अधिकारियों की गणेश परिक्रमा कर अपनी रोटी सेंक रहे है। गणेश परिक्रमा से नजदीकियां होने के बाद तत्काल इसका लाभ ले ले रहे है। उधर जब तक अधिकारी कुछ समझ पाते उंसके पहले ही यह अपने योजना में सफल हो जा रहे है।
ना कभी खबरों से कोई ताल्लुकात और ना ही लिखने पढ़ने की शौक। इसके बाद भी दालमंडी में किलो के भाव मिल रहे आईडी माइक खरीदकर पत्रकार बन बैठे है। किसी संस्थान से जुड़कर लिखने पढ़ने की पहचान बनाने की बजाय संगठन के सक्रिय सदस्य बन जा रहे है। उधर राजनैतिक पार्टियों की तरह पहचान बना चुका संगठन अपने साथ जरूर जोड़ लेता है। उसके बाद थानों से लेकर चुनिंदा कार्यालयों में सुबह से लेकर देर शाम तक पहरेदार की तरह उपस्थित हो जा रहे।
इसमें एक्का दुक्का तो ऐसे पत्रकार है। जो शायद ही पूरे वर्ष में एक या दो खबर लिखे हों या उसे प्रसारित किए हों। उसमें भी अगर प्रसारित किए तो ऐसी खबर जिससे अधिकारी और नेता तो प्रसन्न हो जाएं लेकिन आम जनता का कोई भला होने वाला नहीं । लेकिन बात चीत करने में ऐसे तथाकथित पत्रकार ऐसी हवा बनाते है कि सामने वाला घनचक्कर बनकर रह जाता है। अधिकारी के या नेता के माथे पर ऐसे लोंगो के हरकत से कोई बल नहीं पड़ता। यह लोग यह जानते है कि इन्हें न कोई खबर से वास्ता न कोई जन समस्या से लेना देना। यह लोग ब्यक्तिगत स्वार्थ और अपने लोंगो के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ही पत्रकारिता का चोला ओढ़कर उसे कलंकित करने में लगे हुए है।