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आधा दर्जन मामले का साहब पहले से कर रहे जांच , अब तक नही आ पायी है रिपोर्ट
Chandauli news: सदर कोतवाली में प्रधानों के अपमान की फाइल फिलहाल 06 दिन में जांच अधिकारी के तहखाने तक पहुंच गयी है। अब तहखाना से बाहर कब आएगी इसकी कोई निश्चित अवधि नहीं है। यह बात जरूर है कि जांच आख्या आने तक साहब की कृपा बनी रहेगी।
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सदर कोतवाली में पिछले 13 फरवरी को लड़की से छेड़खानी होने के मामले में कार्यवाही न होने पर प्रधान संघ सदर कोतवाली में स्थिति जानने के लिए पहुंचा था। जहां एफआईआर न लिखने वाले इंस्पेक्टर ने प्रधानों को ही जेल भेजने की धमकी दे दिया। इससे नाराज प्रधान धरना प्रदर्शन करते हुए इंसपेक्टर के निलंबन की मांग करने लगे। लगभग छह घण्टा से ऊपर प्रधानों का धरना प्रदर्शन चलने के बाद शाम को धरना स्थल पहुंचे अपर पुलिस अधीक्षक ने सात दिन में जांच करके कार्यवाही करने का आश्वासन दिया। तब जाकर लोग शांत हुए।
प्रधान संघ ने दो विंदु पर जांच कर कार्यवाही की मांग किया था। जिसमें नाबालिक के साथ हुए छेड़खानी से सम्बंधित प्रार्थना पत्र पर दो दिन तक आखिर कार्यवाही क्यों नही हुई। जब प्रधान संघ जानकारी लेने पहुंचा तो उन सभी को जेल भेजने की धमकी दी गयी। इन दो बिंदु पर जांच होनी है। जिसके लिए राज्यस्तरीय अधिकारी लगाए गए है। सूत्रों की माने तो जांच के नाम पर साहब कई माह फाइल को झूला देंगे। इसके पूर्व आधा दर्जन मामले में महोदय जांच अधिकारी है। लेकिन अब तक उन मामलों में आख्या नहीं आया। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने अलीनगर से सैयदराजा तक गौतश्करी के खेल में पुलिस कर्मी संलिप्त है इसका फुटेज वायरल हुआ था। जिसकी जांच दिया गया है। तत्कालीन एसपी से लेकर जिसकी जांच हो रही थी दोनों अधिकारियों का ट्रांसफर हो गया। लेकिन जांच आख्या नही आ सकी।
वर्तमान समय में भी बड़े बाबू के उपर एक महिला ने आरोप लगाया था। जिसकी जांच साहब कर रहे है। सूत्रों की माने तो इसमें दोनों पक्ष को बैठाकर समझौता कराया गया है। इसके पूर्व तहसील के एक अधिकारी पर प्राइवेट दलाल के माध्यम से पैसा लेने का आरोप लगा था। जिसकी जांच भी साहब के द्वारा किया जा रहा है। इसके अलावा चंद दिन पहले 25 जनवरी को कस्बा चौकी इंचार्ज व एक दीवान के बीच चलान काटने को लेकर मारपीट हो गया था। दीवान धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। मामले की जांच पुलिस अधीक्षक ने शुरू कराया। लेकिन एक माह ब्यतीत होने गया अब तक जांच आख्या नही आयी। गहन जांच के लिए विभाग में एक पहचान है। यह बात अलग है कि आखिर इन सभी जांचों में लेट लतीफी के पीछे कोई विवसता जरूर होगी।