ट्रामा सेंटर के मानकों पर फिसड्डी निकले अधिकाशं निजी अस्पताल
Chandauli news: चिकित्सक को भगवान का दर्जा दिया जाता है, यह इसलिए कि जीवन देने वाला भगवान व फिर धरती पर उसके जीवन की रक्षा करने वाला चिकित्सक होता है। लेकिन यह केवल उपाधि मात्र तक सीमित हो गया है। ऑपरेशन थियेटर में रखे सर्जरी उपकरण ( कैंची , चिमटा, बर्लिसर, बैकांग सन्दरा) का उपयोग मरीजों के रोग ठीक करने के लिए कम बल्कि उनके आर्थिक शोषण के लिए अस्पताल संचालक उपकरणों का प्रयोग तेजी से कर रहे है। अस्पलात के ताम झाम में फंसने वाले आये दिन शिकार हो रहे है।
Allso reed:सूर्या हॉस्पिटल की लापरवाही में चली गयी महिला की जान
ट्रामा सेंटर के नाम पर लूट मचाने वाले सूर्या अस्पताल के काले कारनामे का खुलासा हुआ है। जहाँ सैयदराजा के जेवरियाबाद निवासी विभा सिंह की तबियत खराब होने पर परिजनों ने सूर्या हॉस्पिटल के बाहरी ताम झाम को देखकर अपने मरीज को भर्ती करा दिए। लेकिन इन लोंगो को यह नही पता था कि बाहर बोर्ड पर लगे एक दर्जन से अधिक चिकित्सकों के नाम केवल मरीजों व उनके परिजन को दिगभ्रमित करने के लिए गया है। अंदर केवल अनट्रेंड स्वास्थ्य कर्मी जिन्हें सर्जिकल उपकरणों के नाम भी ठीक ढंग से नही पता है वही ईलाज शुरू कर देंगे। लापरवाही इस कदर हुई कि विभा का प्लेटलेट सबसे न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। मरीज भर्ती होने के दूसरे दिन आर्थो विशेषज्ञ डॉक्टर गौतम त्रिपाठी पहुंचे। मरीज की स्थिति देखकर तत्काल उसे वेंटिलेटर पर रखने के लिए वाराणसी रेफर कर दिए। स्थिति यह हो गयी कि मरीज का ऑक्सीजन भी हटा दिया गया। जिससे कुछ दूर जाते समय ही मौत हो गयी।
नाम ट्रामा सेंटर का सुविधा क्लिनिक का भी नही
ट्रामा अस्पताल के नाम से विख्यात सूर्या अस्पलात सहित जनपद के एक दर्जन अस्पताल ट्रामा सेंटर का बोर्ड लगाकर लोगो को दिग्भ्रमित कर रहे है। जबकि ट्रामा सेंटर के लिए लाइसेंस तभी मिल सकता है जब वह अपने मानक पर खरा उतरेगा। जिसमे चार ऑपरेशन थियेटर होना चाहिए उसमें न्यूरो हड्डी,और पेट के लिए अलग अलग थियेटर होना चाहिए, अस्पताल में आईसीयू, ब्लड बैंक ,एमआरआई व सिटी स्कैन, वेंटिलेटर व ऑक्सीजन पाइप की सुविधा प्राथमिकता पर होनी चाहिए। इसके साथ ही न्यूरो सर्जन व आर्थोसर्जन चिकित्सक की ड्यूटी 24×7 दिन होनी चहिए। जिससे किसी भी विकट स्थिति में इन सुविधाओं का उपयोग कर मरीज का बेहतर ईलाज किया जा सके। लेकिन इन अस्पतालों में इस तरह की सुविधा नदारत है। बाहर से भले की शीशे को दरवाजा व खिड़की, फ्लैश बोर्ड आकर्षक बनाया गया हो लेकिन अंदर सुविधाओं का टोटा है।
आंख बंद कर घूम रहे सीएमओ
ट्रामा सेंटर के नाम पर एक दर्जन अस्पताल ट्रामा सेंटर का बोर्ड लगा कर मरीजो को लूट रहे। लेकिन अस्पताल में सुविधाओं टोटा है। इसके बाद भी जिले में आंख मूंद कर सीएमओ टहल रहे है। यहाँ तक कि कई अस्पतालों में तो बकायदे मुख्य अतिथि बनकर कार्यक्रम की शोभा भी बढ़ाने में भी अपना गौरव समझे है।
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