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त्याग और धैर्य की पराकाष्ठा हैं ‘राम’: – सन्तोष

Chandauli news: भगवान राम विषम परिस्थितियों में भी नीति सम्मत रहे। उन्होंने वेदों और मर्यादा का पालन करते हुए सुखी राज्य की स्थापना की। स्वयं की भावना व सुखों से समझौता कर न्याय और सत्य का साथ दिया। फिर चाहे राज्य त्यागने, बाली का वध करने, रावण का संहार करने या सीता को वन भेजने की बात ही क्यों न हो।

सहनशीलता व धैर्य भगवान राम का एक और गुण है। कैकेयी की आज्ञा से वन में 14 वर्ष बिताना, समुद्र पर सेतु बनाने के लिए तपस्या करना, सीता को त्यागने के बाद राजा होते हुए भी संन्यासी की भांति जीवन बिताना उनकी सहनशीलता की पराकाष्ठा है।ये विचार व्यक्त किया वाराणसी पुलिस के पूर्व डीआईजी श्री संतोष कुमार सिंह ने मातृ भूमि सेवा ट्रस्ट के द्वारा आरके नेत्रालय में कराए गए निःशुल्क ऑपरेशन शिविर में कहा।

उन्होंने कहा कि राम ने उपेक्षित एवं बंचित समाज को भी अपनाया।मातृभूमि सेवा ट्रस्ट के साथ मिलकर आर.के नेत्रालय का बंचितो एवं निराश्रितों के लिए किया जाने वाला काम मर्यादा पुरुषोत्तम की महान परम्परा की याद दिलाता है।कार्यक्रम की शुरुआत महामना पं.मदन मोहन मालवीय के तेल चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ।शिविर में युवा वैज्ञानिक पुरस्कार से सम्मानित बीएचयू के बैज्ञानिक चन्द्रशेखर सिंह ने भी अपने अनुभवों को साझा किया। इस दौरान शिविर में डा.अतुल शाहु,डा.वन्दना,डा.राजीव रंजन,विवेक राय,अवधेश ओझा,बबलू,सुमंत कुमार मौर्य,सूरज,अमरेश उपाध्याय,राजेश सिंह इत्यादि लोग उपस्थित रहे। संचालन मातृभूमि सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने और आभार डिप्टी डायरेक्टर मिथिलेश पाण्डेय ने किया। 

मृत्युंजय सिंह

मैं मृत्युंजय सिंह पिछले कई वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्रों में कार्य करने के उपरान्त न्यूज़ सम्प्रेषण के डिजिटल माध्यम से जुडा हूँ.मेरा ख़ास उद्देश्य जन सरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से उठाना एवं न्याय दिलाना है.जिसमे आप सभी का सहयोग प्रार्थनीय है.

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