क्राइमचंदौलीवाराणसी

ब्यापारी तो ब्यापारी पुलिस वालों को भी नही छोड़ा

सकलडीहा सीओ व थाने के पांच सिपाही भी लाखों का लगा चुके है सट्टा

चंदौली। सकलडीहा ब्यापारी सुमित रस्तोगी के गुमशुदा होने की खबर अच्छे अच्छे की बेचैनी बढ़ा दी थी। कुछ लोग बिना बताए हाथ पैर चला रहे थे तो कुछ की हृदयगति इतनी तेज हो गयी थी कि उन्हें डॉक्टरों से सम्पर्क करना पड़ गया था। हालांकि सात दिन बाद बरामद होना और डॉक्टरों के दवा की डोज ने ऐसे लोंगो के स्वास्थ्य में काफी सुधार किया। इसके पीछे कई लोंगो की फंसी पूजी का मामला धीरे धीरे प्रकाश में आ रहा है।

सकलडीहा के इस ब्यापारी के गुमशुदा होने के बाद सात दिन में जो भटकती आत्माएं सामने आई है। उससे इसके ऊपर एक स्लोगन “ऐसा कोई सगा नही, जिसको इसने ठगा नही” सटीक बैठ रही है। दूसरों को फर्जी मुकदमा व अन्य धाराओं में फंसाने वाली पुलिस को ब्यापारी अपने वाणी वचन की जाल में इस कदर फंसाया की यह लोग भी लाखों रुपया का सहयोगी बन बैठे। इस राज का खुलासा तब हुआ एक पीड़ित सात लाख रुपया उधार देने का स्टाम्प पर लिखित समझौते को लेकर पहुंचा था। तब खाकी वर्दी धारियों ने भी अपने पैसे का जिक्र ब्यापारी के पिता से किया। प्रत्यक्षदर्शी सूत्रों की माने तो सात लाख रुपया का स्टाम्प दिखाने वाले उस मित्र को गाली के बौछार से नहलाया गया। लेकिन वर्दीधारियों के पैसे को वापस करने की जिम्मेदारी खुद पिता ने लिया है। यह दोनों वर्दी धारी बकायदे अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर खाली समय मे दुकान की शोभा बढ़ाते थे। यही नहीं ब्यापारी भी इन वर्दीधारी की मदद से यहाँ आने वाले प्रभारियों के आगमन, साल पूरा होने, जन्मदिन से लेकर विदाई समारोह तक आतिथ्य सत्कार करता था। इन कार्यक्रमों में बढ़चढ़कर भाग लेता था। तत्कालीन के एक साहब तो यहाँ जितने दिन रहे उसके कोल्ड व पानी एजेंसी का भरपूर लाभ उठाये। सील पैक बोलत के अलावा उन्होंने कभी खुले बोतल के पानी का स्वाद नही चखा।

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मृत्युंजय सिंह

मैं मृत्युंजय सिंह पिछले कई वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्रों में कार्य करने के उपरान्त न्यूज़ सम्प्रेषण के डिजिटल माध्यम से जुडा हूँ.मेरा ख़ास उद्देश्य जन सरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से उठाना एवं न्याय दिलाना है.जिसमे आप सभी का सहयोग प्रार्थनीय है.

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