घट स्थापन के साथ नव दिवसीय शारदीय नवरात्रि का आगाज
पूरे 09 दिन की होगी नवरात्रि
Chandauli news: शारदीय नवरात्रि का आगाज गुरुवार से होगा। इस दिन माता भक्तों का कष्ट हरने के लिए पालकी पर सवार होकर देवलोक से पृथ्वी लोक पर आएंगी। पहले दिन माता के शैलपुत्री रूप का पूजन अर्चन होगा। माता के अनुष्ठान के लिए 03 अक्टूबर को घट स्थापन होगा। पूरे नौ दिवसीय नवरात्रि में चतुर्थी तिथि की वृद्धि हो रही है। जबकि नवमी तिथि का क्षय हो रहा है।
गुरुवार को सुबह 6:07 बजे से 9:30 बजे व अभिजीत मुहूर्त दिन में 11:37 बजे से 12:23 बजे तक कलश स्थापन का मुहूर्त सबसे शुभ है। नवरात्र में चतुर्थी तिथि की वृद्धि और नवमी तिथि का क्षय हो रहा है जिसकी वजह से 11 अक्तूबर को ही महाष्टमी और महानवमी का व्रत दोनों होगा। ज्योतिषविद का कहना है कि महाष्टमी तिथि 10 अक्तूबर को सुबह 7:29 पर लगेगी जो 11 अक्तूबर को सुबह 6:52 बजे तक रहेगी। इसके बाद 6:52 बजे से नवमी तिथि लग जाएगी और 12 अक्तूबर की सुबह में 5:47 बजे तक रहेगी। उसके बाद दशमी तिथि लग जाएगी। इसके साथ ही 11 अक्टूबर को महानवमी और 12 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा।
नवरात्र में मां दुर्गा के वाहन का विशेष प्रभाव पड़ता है। नवरात्रि गुरुवार को आरंभ होगा। मां दुर्गा की सवारी डोली (पालकी ) पर सवार होकर आएंगी। मां दुर्गा का पालकी पर सवार होकर आना देश दुनिया की सुरक्षा और अर्थ व्यवस्था के लिए अच्छा संकेत नहीं है। साथ ही देश-दुनिया में महामारी फैलने का डर है। लोगों को कोई बड़ी अप्राकृति घटना का सामना करना पड़ सकती है।
नवरात्रि का अनुष्ठान करने वालों को पालन करना चाहिए यह नियम
ग्रंथों में कहा गया है कि नवरात्रि में कलश स्थापना करने वाले साधक को ब्रह्म मुहुर्त में बिस्तर छोड़कर नित्य क्रिया से निवृत्त होना होगा। सूर्योदय से पहले स्नान करके नियमित तौर पर दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। नवरात्रि के नौ दिनों में व्रत रखने का विधान है। इन नौ दिनों में न केवल अन्न का ही त्याग नहीं बल्कि लहसुन, प्याज, तेल मसाला जैसे समस्त तामसिक चीजों का परित्याग करना चाहिए। इसके साथ ही पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है। वैसे तो नवरात्रि में रात का महत्व है। नियम यह है कि रात भर जागकर माता का जागरण किया जाए, लेकिन यदि नींद आती भी है तो जमीन पर सोने का विधान है।