भूत से लेकर जानवरों के मिल रहे चेहरे
लखनऊ। होली पर इस बार जहां रंग अबीर गुलाल की दुकानें सजी हुई हैं। वहीं पटाखे भी बिक रहे हैं। इन्हीं पटाखों की दुकानों पर भांति भांति के मुखौटे बिक रहे हैं। यह इस बात का प्रतीक है कि यह वह दौर चल रहा है। जिसमें अधिकांश लोग एक चेहरे के साथ कई तरह के चेहरे रख रहे हैं। कुछ व्यक्ति अपनी नैसर्गिक सादगी और सरलता को छोडकर दुष्टता और कांइयापन को अपने उपर हावी होने दे रहे हैं। किसी के मन में सामने वाले के प्रति कब भाव बदल जायेगा। यह शायद होली में अलग अलग प्रकार के उडनेवाले रंग की तरह उसे भी नहीं मालूम है। इसी से ऐसे लोगों के चेहरे पर सटीक बैठनेवाले मुखौटे बाजार में सहज में सुलभ हैं।