भाजपा ने सभासद का नही दिया टिकट तो निर्दल लड़ गए चुनाव
Chandauli news: सत्ता दल का नेता होने के बाद पुलिस पर रौब दिखाने वाले नेता जैसे ही निकाय चुनाव में बगावत किए पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। फिर तो पुलिस का शिकार होना लाजमी है। चुनाव में शांति व्यवस्था का माहौल खराब न हो इसके लिए नेता जी लपेटे में आ गए। हालांकि दूसरी तरफ विभगीय जांच शुरू हो गयी है।
निकाय चुनाव में वार्ड 25 के सभासद के लिए भाजपा से टिकट के लिए राजेश जायसवाल दावेदारी किये थे। लेकिन इनके स्थान पर अमित केशरी को भाजपा प्रत्याशी बनाया गया। पिछले चुनाव में भी यह भाजपा से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन पार्टी ने राजेश जायसवाल को टिकट न देकर राहुल को अपना प्रत्याशी बनाया था। उस समय भी बगावत कर राजेश चुनाव लड़े थे। जिसमें विजयी हुए थे। चुनाव के बाद यह भाजपा में पुनः शामिल हो गए। जिन्हें पार्टी ने प्रधानमंत्री जनकल्याण योजना का प्रभार दिया था।
लगातार 25 वर्ष से सभासद चुने जाने वाले राजेश जायसवाल को इस बार भी पार्टी से टिकट न मिलने से वह पुनः भाजपा से बगावत कर बैठे। राजेश के इस ब्यवहार को पार्टी हाईकमान संज्ञान में लेते हुए छह साल के लिए निष्कासित कर दिया। अब यह निर्दल प्रत्याशी हो गए। उधर भाजपा में रहते हुए एक अलग अंदाज का ब्यवहार पुलिस को खटक ही रहा था। चुनाव के समय शांति ब्यवस्था प्रशासन का दायित्व था। फर्जी मतदान को लेकर राजेश व उनके परिजनों ने विरोध किया। मौके पर पहुंचे सिंघम स्टाइल पुलिसिंग के महारथी अपने अंदाज में समझना शुरू किए। इधर इस बात से बेखबर निर्दल प्रत्याशी अपने आप को सत्ता दल के अंदाज में ही सीओ से बात कर गए। जो काफी नागवार लगा।
सीओ ने तत्काल अपनी हमराहियों से पकड़ जीप में बैठाने के लिए कह दिया। साहब के आदेश के बाद तो बिना देर किए पकड़ लिए गए निर्दल प्रत्याशी को पुलिस से घिरा देख परिवार का ही सदस्य जो कि सपा नेता का पुत्र वह कूद पड़ा। उसके बीच मे कूदने पर पहले से ही गर्मी व बहस से सातवे आमान पर पहुंचा सीओ का पारा सपा नेता के पुत्र को कोपभाजन का शिकार बना लिया। बीच समाज एक थप्पड़ रसीद कर दिया। जिससे वह कुछ दूर जा गिरा। घटना का वीडियो वायरल हो गया है। एसपी संज्ञान में लेकर जांच का आदेश दे दिए है।
जिसका लेते थे सलाम, अब उसके जबाब का देंगे जबाब
जांच अपर पुलिस अधीक्षक सदर को एसपी अंकुर अग्रवाल ने दिया है।सूत्रों की माने जिसके लिए उन्हें अपर पुलिस अधीक्षक के कार्यालय ने नोटिश भेज कर तीन दिन में सीओ को बयान के लिए तलब किया गया है। अब यह बयान सिंघम को अपर पुलिस अधीक्षक के जांच कमेटी को देनी होगी। साहब के रीडर सिंघम से प्रश्न करेंगे जिसका उन्हें जबाब देना होगा। उनके जबाब को उनके ही सम्मुख टाइप कर उसपर हस्ताक्षर कराया जाएगा। जिसकी कॉपी उन्हें भी दी जाएगी। अपने आप को इस आरोप से मुक्त कराने के लिए कुछ गवाह का भी बयान कराना होगा। जो उस समय वहाँ मौजूद रहे होंगे। इसके लिए बकायदा उन्हें अपने भरोसेमंद का नाम कमेटी को बताना होगा।