न्यायालय में गवाह व पीड़िता ने बयान बदला
चंदौली। पास्को मामले में एक बार पीड़िता ने एफआईआर दर्ज कर दिया उसके बाद न्यायालय में चार्जसीट दाखिल होने का बाद पीड़िता अपने बयान से मुकर जाएगी तब भी आरोपी को सजा होना निश्चित है।
विशेष न्यायाधीश पॉक्सो राजेंद्र प्रसाद की अदालत ने बुधवार को एक ऐसे मामले में आरोपी को 22 साल की सजा व 10000 हजार का जुर्माना से दण्डित किया। बलुआ थाना में 7 अप्रैल 2020 के एक मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने अपना फैसला सुनाया। बलुआ थाने में एक ब्यक्ति ने अपने भतीजी के साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगते हुए गांव के ही रितेश पांडेय उर्फ गोलू को आरोपी बनाया था। पुलिस ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए पीड़िता का मेडिकल कराया। न्यायाधीश के सम्मुख 164 का बयान दर्ज कराया। जिसमें पीड़िता ने बताया कि दो दिन तक उसे कमरे में बन्द कर कई बार आरोपी ने दुष्कर्म किया। पुलिस ने भी डीएनए टेस्ट कराया। जिसमे दुष्कर्म की पुष्टि हुई।
बुधवार को न्यायाधीश के सामने पीड़िता व अन्य गवाह अपने बयान से मुकर गए। लेकिन मजिस्ट्रेट के सामने 164 के बयान व डीएनए के रिपोर्ट को तथ्य मानते शासकीय अधिवक्ता शमशेर बहादुर सिंह ने न्यायालय से कहा कि पीड़िता के घर वालों पर आर्थिक व सामाजिक दबाव अन्य गया होगा। इससे वह अपने बयान से मुकर रही है। जबकि डीएनए की रिपोर्ट उसके साथ दुष्कर्म की पुष्टि करता है। इस पर न्यायाधीश राजेन्द्र प्रसाद ने आरोपी को 22 साल की सजा व 10000 रुपया के अर्थ दण्ड से दण्डित किया। पैसा जमा न करने की स्थिति में छह माह सजा की अवधि बढ़ा दी जाएगी।