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जाते जाते साहब ने पीड़ित व आरोपी को खुश करने का किया पुरजोर कोशिश

धोखाधड़ी के मामले को एनआईए के खाते में डाल पेश कर दिया मिशाल

Chandauli news: दादी की कहानी का एक प्रचलित कहावत “हसै ठठाब फुलाउब गालु” की कहावत को चन्दौली की पुलिस ने बदल कर रख दिया। पुलिस पक्ष में हो तो हत्या जैसे अपराध से भी आरोपी को बचा सकती है। ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है जहां पीड़ित आरोपी के खिलाफ सबूत पर सबूत सिहब को दे रहा था वहीं साहब इन सभी बातों को नजरअंदाज कर ठोस कार्यवाही का भरोसा दे रहे थे।

निगम के एक पूर्व बाबू ने निगम में नौकरी दिलाने के नाम पर सेवनृवित्त सैनिकों से लाखों रुपये ऐंठे थे। जहाँ मामला का खुलासा होने पर उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। निगम से बाहर होने के बाद उसने समाज के प्रतिष्ठित क्षेत्र में जुगाड़ लगाना शुरू किया। जिसमें वह सफल हो गया। फिर एक संस्थान से बकायदे जुड़ कर समाज में अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी।

पुलिस से लेकर जिलाप्रशासन तक कि बैठकों में प्राथमिकता के आधार पर पहुंचकर एक दूसरे से परिचय देते हुए जान पहचान बना लिया। जिसके बाद फिर से वही अपने पुराने कारनामे को अंजाम देना शुरू किया। पहले की तरह अब इस संस्थान में भी बेरोजगारों को नौकरी के साथ साथ कई सब्जबाग दिखाना शुरू किया। आलम यह हो गयी कि बेरोजगारों की फौज खड़ा हो गई। फिर क्या था नौकरी दिलाने के नाम पर लाखो रुपये लिया।

धीरे धीरे दो वर्ष से अधिक का समय ब्यतीत होने I के बाद फरियादी पैसा व नौकरी की मांग करने लगे। लेकिन नौकरी दिलाना उद्देश्य तो था नही, तब इसने जाली चेक देकर लोंगो को एक बार फिर से मूर्ख बना दिया। खाते में फूटी कौड़ी नही फिर भी अलग अलग लोंगो को लगभग चार लाख से उपर की राशि का चेक दे दिया। हर किसी ने जब खाते में चेक विड्रॉल करने के लिए लगाया तो बाउंस हो गया। अब अपने आप को ठगी का शिकार हुए लोग पहले तो बात चीत का रास्ता अपनाया लेकिन स्थानीय स्तर पर खाकी के साथ जान पहचान के कारण पीड़ितों से सीधी मुंह बात भी करना मुनासिब नही समझा।

पीड़ितों ने पुलिस का सहारा लिया लेकिन उधर पीड़ित को कम महाठग को ज्यादा वरियता दिया गया। स्थिति यह हो गयी कि पीड़ितों ने न्याय की उम्मीद छोड़ सब कुछ सन्तोष करना शुरू कर दिया था, हलांकि तेज तर्राक पुलिस अधीक्षक डॉ अनिल कुमार के न्याय पर भरोसा कर इन सभी ने फिर से प्रार्थना पत्र दिया। पुलिस अधीक्षक ने भी मामले में गम्भीरता दिखाते हुए सीओ से निष्पक्ष जांच कर आख्या देने के लिए कहा।

पुलिस अधीक्षक के स्पष्ट आदेश के बाद भी कच्छप गति से जांच प्रक्रिया रेंगना शुरू किया। पहले तो।घटना स्थल दूसरे जनपद में होने की बात कह कर टरकाया जा रहा था लेकिन इस बार पीड़ित भी अपनी लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने के लिए कमर कसे पड़े है। एक पीड़ित तो बकायदे सेना से सेवनृवित्त होने के बाद पुलिस विभाग में सेवा दे रहा है। जिसकी पोस्टिंग भी गोरखपुर में है। उसने पिछले दिनों एसपी से मिलने के बाद सभी पीड़ितों को साथ लेकर मुख्यमंत्री जनता दरबार पहुंचने का संकेत दे दिया था। फिर तो आपाधापी में अपनी मित्रता को विश्वास में लेते हुए साहब ने दोनों पक्ष को सन्तुष्ट करना शुरू किया। एक पक्ष को ठोस कार्यवाही का भरोसा देते हुए धोखाधड़ी का पर्याप्त सबूत होने के बाद भी केवल एक सामान्य धारा में एफआईआर दर्ज कर चिठ्ठा पकड़ा दिया।

क्या कहते है अधिकारी: इस सम्बंध में सीओ सदर रामबीर सिंह का कहना है कि पीड़ितों ने आरोपी के खाते में पैसा दिया है। इसके आधार पर धारा 406 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। जबकि बाउंस चेक का मामला एनआईए एक्ट के तहत न्यायालय से होता है। हालांकि आरोपी ने एक से अधिक चेक पीड़ित को दिया है। इससे धोखाधड़ी की मंशा भी हो सकता है। जो विवेचना का पार्ट है।

मृत्युंजय सिंह

मैं मृत्युंजय सिंह पिछले कई वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्रों में कार्य करने के उपरान्त न्यूज़ सम्प्रेषण के डिजिटल माध्यम से जुडा हूँ.मेरा ख़ास उद्देश्य जन सरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से उठाना एवं न्याय दिलाना है.जिसमे आप सभी का सहयोग प्रार्थनीय है.

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