
आरोपी पर इसके पूर्व तीन तीन बार लग चुका छेडखानी का आरोप
Chandauli news: महिला अपराध पर सरकार संवेदनशील है। ऐसे अपराध को रोकने के लिये आधा दर्जन टोल फ्री शिकायत नम्बर भी जारी किया है। महिला अपराध कम हो सके इसके लिए जनपद स्तर पर पुलिस महिलाओं की अत्यधिक संख्या वाले स्थान पर पहुंचकर लोंगो को जागरूक कर रही है। ऐसे अपराध पर चुप रहने की बजाय बेहिचक पुलिस थाना में शिकायत करने के लिए जागरूक किया जा रहा। यही नही थाना स्तर पर अपनी बात पुरुष पुलिस कर्मी के सामने महिला अपने साथ हुए अत्याचार को शर्म व डर में न कह पाती हो इसके लिए उन्हें माहौल दिया गया। हर थाने पर महिला हेल्प डेस्क का स्थापना है। जहां महिला पुलिस कर्मी ही रहेंगी। उनके सामने अपनी आपबीती कहेंगी। यही नही शिकायती प्रार्थना पत्र नहीं न लिख पाने की स्थिति में हो तो महिला पुलिस कर्मी प्रार्थना पत्र लिखकर सम्बंधित हल्का क्षेत्र के दरोगा को देकर कार्यवाही कराएगी। कुल मिलाकर महिलाओं के मामले में लापरवाही नही होनी चाहिए यह शासन की मंशा है।

लेकिन सरकार के मंशा व महिला अपराध कम होने के आंकड़े बाजी में कहीं थानों पर इस तरह के मामले को दबाया जा रहा है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण सदर कोतवाली में पिछले कई दिनों से देखा जा रहा है। जहां पीड़िता को कानूनी दाव पेंच व सामाजिक प्रताड़ना आदि का भय दिखाकर उन्हें वापस कर दिया जाता है। कुछ अपने इस अपमान की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार होते है तो फिर उन्हें या उनके घरवालों को आर्थिक लालच देकर समझाया जाता है। अधिकांश मामले पुलिस पैसे के लेन देन में समझौता कराने का भरपूर प्रयास करती है। क्योंकि इसमें पीड़िता से ज्यादा जांचकर्ता फायदे में रहता है। सूत्रों की माने तो मुकदमा न लिखने में महारथ हासिल कर चुके महोदय के कार्यकाल में इसमें बढोत्तरी हुई है। कुछ दिन पहले भी ऐसी स्थिति सामने आयी थी। जहां एक मामले में समझौता के बाद पुलिस ने आरोपी पक्ष से ठीक ठाक ₹ लिया लेकिन पीड़िता के हिस्से में 500₹ गाड़ी भाड़ा के नाम पर आया।

कुछ ऐसा ही मामला बुधवार से टहल रही पीड़िता के साथ भी हुआ। जहां दो दिन पूर्व अपने साथ हुए छेड़खानी व दुराचार करने की कोशिश के मामले में शिकायत करने वाली पीड़िता को पिता के साथ थाने पर बैठाया गया था लेकिन कार्यवाही नही हुयी। ग्रामीणों का कहना है कि जिसके खिलाफ आरोप लगा है इसके पूर्व भी वह तीन तीन युवतियों के साथ इस तरह की हरकत किया है। जिसमें पुलिस कार्यवाही नही की। इस मामले में भी जब स्थिति विपरीत हुई तब जाकर दूसरे दिन दोपहर बाद मुकदमा लिखा गया। लेकिन अब तक आरोपी पुलिस पकड़ से दूर है।
यह केवल वर्तमान समय की स्थिति नही है बल्कि पूर्व भी ऐसे कई मामले सामने आए जिसमें भारी भरकम पैसे का लेन देन हुआ। जिसका बंदरबाट भी स्तरीय हुआ। जिसके कारण शिकायत कर्ता से लेकर जांच कर्ता व आरोपी सब सन्तुष्ट रहे। यह बात अलग रही कि बहुत देर तक यह राज राज नही रह पाया था। अब एक बार फिर से लापरवाही के खिलाफ जांच का आदेश जारी किया गया है। जांच निर्धारित अवधि में होगी या फिर जांचकर्ता के मन मस्तिष्क व माहौल के हिसाब से होगा। यह फिलहाल भविष्य के गर्त में है।