नगर निकाय से लोकसभा चुनाव तक रामकिशुन परिवार की सीट रहती थी सुरक्षित
Chandauli news: समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले पूर्व सांसद रामकिशुन यादव एक बार भी पार्टी से टिकट लड़ने के दौड़ में शामिल थे। लेकिन लगातार दूसरी बार रामकिशुन यादव को निराशा हाथ लगी है। समाजवादी पार्टी ने वीरेंद्र सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है। इससे पूर्व सांसद ही नही बल्कि शुभचिंतक भी निराश हुए।
वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने पूर्व सांसद को टिकट न मिलने पर कहा कि एक समय था जब नेता जी (मुलायम सिंह) के कार्यकाल में बौरी हाउस (रामकिशुन का परिवार) का अपना एक सीट सुरक्षित रहता था। यहां तक कि नगर निकाय , ब्लाक प्रमुख चाहे विधानसभा व लोकसभा मतलब प्रदेश में चुनाव हुआ तो उस परिवार का एक प्रत्याशी को टिकट मिलना ही मिलना था। लेकिन छह दशक के बाद जब से अखिलेश यादव राष्ट्रीय अध्यक्ष हुए तब से रामकिशुन यादव की पकड़ शायद पार्टी में कमजोर हो गयी है।
इस सम्बंध में पूर्व सांसद रामकिशुन से news place की खास बात चीत में उन्होंने कहा कि पार्टी के लिए सच्चे सिपाही की तरह ईमानदारी से उनका परिवार पिता जी के समय से काम किया है। नेता जी के कार्यकाल में कभी पार्टी टिकट के लिए प्रयास नही करना हुआ। अखिलेश यादव के कार्यकाल में पार्टी इसे टिकट लेने के लिए प्रयास किया गया। पिछली बार टिकट नही मिला उसके बाद भी पूरी मेहनत से पार्टी के लिए काम किया गया। इस बार भी पूरी उम्मीद थी लेकिन अचानक यह निर्णय कैसे हुआ। इसकी उम्मीद नही थी।
1974 से रामकिशुन परिवार पर भरोसा
समाजवादी पार्टी के इतिहास में अब रामकिशुन परिवार को लगातार दूसरी बार झटका मिला है। 2019 में पार्टी ने रामकिशुन यादव के जगह संजय चौहान को टिकट दिया था। 2024 के लोकसभा में वीरेंद्र सिंह को सांसद प्रत्याशी बनाया है। जबकि 1974 से जनता पार्टी के समय से इस परिवार को जगह मिलती आयी है। 1974, 1977, 1979 में जनता पार्टी से रामकिशुन यादव के पिता गंजी प्रसाद विधायक हुए। 1992, 1995 में रामकिशुन यादव विधानसभा का चुनाव लड़े दोनों बार हार गए इसके बाद भी 2002 में पार्टी ने भरोसा जताया। जिसमें जीत दर्ज किए इसके बाद पुनः 2007 में विधायक हुए। 2009 में सांसद बने। 2014 में भी लोकसभा से टिकट मिला जिसमें हार गए।