बच्चों का कुपोषण दूर करने की बजाय अपना पोषण करने में मदमस्त
Chandauli news: कुपोषण मुक्त भारत बनाने का सरकार भले ही दावा कर ले। लेकिन जिनके कंधों पर यह जिम्मेदारी है वह कुपोषण मुक्त भारत बनने नही देंगे। बच्चों के कुपोषण को दूर करने की बजाय अपना पोषण जरूर कर ले रहे है। सरकार की तरफ से आने वाले पुष्टाहार को अधिकारी व कर्मचारी बेच कर अपना जेब जरूर भर ले रहे है।
कुपोषण मुक्त प्रदेश को बनाने के लिए राज्य सरकार अग्गनबाड़ी(aagnbadi)केंद्र बनाकर यह पर मानदेय पर आंगनबाड़ी कार्यकत्री व सहायिका की नियुक्ति की है। जिनकी जिम्मेदारी है कि यह गर्भवती महिलाओं को उनके प्रसव व बच्चें के 06 वर्ष तक देखभाल करेंगी। इसके साथ साथ पौष्टिक पुस्टाहार का वितरण कराती है। गर्भवती महिलाओं के गर्भ धारण से लेकर उनके प्रसव व बच्चे के 06 वर्ष तक कि आयु पूर्ण करने के देखभाल की जिम्मेदारी गया तेल लेने। बच्चा कुपोषित पैदा होगा या स्वास्थ्य इससे इनका कोई लेना देना नही। एक एक सूत्रीय कार्यक्रम है कि गर्भवती व शिशु के लिए जो पुष्टाहार आएगा उससे उनकी पौष्टिकता बने या न बने। इन आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों व उनके अधिकारी कितना पोषित हो सकते है इसपर पूरा ध्यान है।
बच्चों व गर्भवती महिलाओं को वितरित करने करने के लिए आये हुए राशन को कैसे पचाना है इसकी भूमिका तैयार की जाती है। शुक्रवार को कुछ ऐसा ही नजारा सकलडीहा विकास खण्ड के भोजापुर में देखने को मिला। जहाँ गुणा गणित के खेल का भंडाफोड़ हो गया। आधा अधूरा राशन वितरित कर कागज पूरा करने में मदमस्त आंगनबाड़ी कार्यकत्री लालती देवी से इस बात पर बहस हो गई कि अधिकांश लोंगो को दलिया, दाल देकर वापस कर दे रही थी। इसकी शिकायत करने पर उन्होंने सीधे यह कह दिया कि अधिकारियो के कमीशन बढ़ गए तो क्या अपना घर बेच के देगी।
इस सम्बंध में जिला कार्यक्रम अधिकारी जया त्रिपाठी का कहना है कि कोई लिखित में शिकायत करे तो जांच कराई जाएगी। दोषी पाए जाने पर कार्यवाही की जाएगी।
कैसे हो रहा घालमेल ,आंगनबाड़ी कार्यकत्री के कारनामे के लिए पढ़े…. newsplace.in का अगला भाग-2