विभागीय अधिकारी के साथ समाज के स्तम्भों का चेहरा हो जाएगा बेनकाब!
विभागीय पेंच फंसता देख मामले के तह तक जाने से परहेज
Chandauli news: आरपीएफ कर्मी जावेद व प्रमोद के मौत की गुत्थी फिलहाल एसटीएफ की पुलिस ने सुलझा दिया। आरपीएफ कर्मचारियों का मौत शराब तश्करों के साथ मार पीट से हुआ था। यह बात सामने आ गयी। पकड़े गए शराब तश्करों ने जो बयान दिया उसपर विभाग तहखाने तक गयी तो कई चेहरे बेनकाब हो जाएगा। यहां तक कि समाज के एक पिलर संज्ञा पाए लोग का राज भी खुल जायेगा।
वर्ष 2017 में तत्कालीन एआरटीओ आर एस यादव को अवैध वसूली के आरोप में चन्दौली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उस दौरान गाड़ी में एआरटीओ मौजूद नही थे बल्कि उनकी सरकारी गाड़ी सड़क पर खड़ा कर ड्राइवर व सुरक्षा कर्मी वसूली कर रहे थे। जिसके बाद आरटीओ को वसूली के साजिश में जब गिरफ्तार किया गया तब परत दर परत कई मामले खुल गए। जिसका परिणाम रहा कि एआरटीओ को काफी मुश्किल से जमानत मिल पायी। लेकिन उस समय पुलिस को जो डायरी मिली थी। उसमें एक दर्जन लोंगो के नाम से बकायदे सुविधा शुल्क देने का जिक्र था। हालांकि तत्कालीन एसपी सन्तोष सिंह ने किसी तरह उस राज को दफन कर दिया। जिसका परिणाम रहा कि 27 माह के उनके कार्यकाल में कोई भ्रस्टाचार पर मुखर नही हो पाता था।
कुछ ऐसे ही स्थिति आरपीएफ कर्मचारियों के मौत के बाद जांच में निकल कर आयी है। विशेष सूत्र की माने तो इन तश्करों के सीडीआर व बयान ने पूरी व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है। आरपीएफ, जीआरपी के अलावा ट्रेन के टीटी गार्ड व चालक तक सभी का हिस्सा बंधा हुआ है। प्रति पेटी 400-700₹ रास्ते का कमीशन है। जिसमें 100₹ जीआरपी, 100₹ आरपीएफ, 50₹ पेंट्रीकार, 50₹ ड्राइवर, 50₹ टीटी व 50 ₹ चालक, 100₹/पेटी क्राइम ब्रांच इन सभी का फिक्स रेट है। इसमें स्टेशन से गाड़ी खुलने के बाद यार्ड से यह खेल शुरू होता है। यह सभी शराब तश्करी के लिए अंग्रेजी के दुकानों से अपना जुगाड़ बनाये है। जिसके लिए निर्धारित रेट से 500-600 ₹ अधिक में खरीद लेते है। जिसे बीच बीच में ट्रेन रोककर बिहार भेजा जाता है