जिस तहसील में रहा तहसीलदार उसी तहसील में मिल गयी पदोन्नति की कुर्सी
पूर्व में जिस फाइलों पर नही हो पायी थी गुणा गणित एसडीएम होने के बाद दोनों पदों का एक साथ होने लगी वसूली
Chandauli news: शासन के ट्रांसफर नीति में चुनाव के कारण कुछ ढील क्या हुआ लुटेरों को विरासत का रखवाला बना दिया। कुछ को प्रमोशन के बाद इसी जिले में चार्ज मिल गया जिन्हें अपने मूल पद रहते हुए जो कुछ लूट पाट करने में छूट गया था उसे ब्याज सहित समेटने का मौका मिल गया।
कुछ ऐसी स्थिति पंडित दीनदयाल नगर की है। जहां भ्रस्टाचार के आकंठ में डूबे तहसीलदार का प्रमोशन होने के बाद पुनः राजैतिक दबाव के कारण एसडीएम की कुर्सी दे दी गयी। चार्ज होने के बाद पुरे देश में आचार संहिता प्रभावित हो गयी। जिसके बाद तो तहसीलदार के पद पर रहते हुए जिस मामले में गुणा गणित नही हो पाया था, उस ममले में एसडीएम बनने के बाद ब्याज सहित वसूली शुरू हो गयी। जिसका असर यह हुआ कि पैसों के वजन से यहां न्याय मिलना शुरू हुआ। जिन फाइलों में जितनी वजनदार गड्डी लगी उतने ही जल्दी पक्ष में फैसला आने लगा। स्थिति यह हुआ कि पैसों का वजन इस कदर भारी पड़ा कि एक मामले में कई ऑर्डर बदलना पड़ा। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन पर भी भारी पड़ गया।
ऐसा ही एक प्रकरण सामने आया है। जिसमें तहसीलदार के पद पर रहने के दौरान साहब ने ओमप्रकाश गुप्ता के शिकायती पत्र पर मुगलसराय के गिधौली मौजा (दामोदर दास) के आराजी न. 19/1, 37/2, 38/1, 38/3 व 38/2 वर्तमान समय में कागज पर भूमिधरी के नाम से दर्ज है। जिसपर लगभग 200 लोंगो का घर बन हुआ है। उंक्त सभी (05)आराजी नम्बर में मिलाकर 1 एकड़ 62 डिसमिल जमीन 1356-1359 फसली में तालाब के नाम से दर्ज होने का रिपोर्ट 13/04/23 को एसडीएम न्यायालय में प्रेषित कर दिए। मामले को गभीरता से लेते हुए निर्वतमान एसडीएम अविनाश कुमार ने मुकदमा पंजीकृत कराते हुए समस्त आराजी नम्बर पर निर्माण कार्य आदि पर रोक लगाते हुए यथास्थिति का आदेश पारित कर दिया।
एसडीएम कोर्ट ने आदेश पारित होने के बाद कब्जाधारियों में हड़कम्प मच गया। उंक्त जमीन पर सरकारी रिकार्ड में मंजू देवी, मोहनलाल, अवतार सिंह, संजय सिंह,गुजराती सहित लगभग 200 लोंगो का कब्जा दिखाया गया। नगर के प्रतिष्ठित धनाढ्यों के नाम से नोटिस जारी हो गया। इसके बाद यह लोग तहसीलदार व एसडीएम के यहां दौड़ना शुरू किए। इसी बीच एसडीएम अविनाश कुमार का स्थानांतरण कलेक्ट्रेट हो गया। अभी कब्जाधारियों से सेटिंग शुरू हुई थी तब साहब भी प्रमोशन पा गए।
एक तरफ बात करोड़ो के डील की और दूसरी तरफ प्रमोशन के बाद तहसील से हटने का मलाल मन में शुरू हो गया। फिर क्या था कुर्सी खाली ही थी।एसडीएम के बाद डीडीयू नगर का चार्ज लेने के लिए राजनैतिक दखल से लेकर अन्य जगहों से पैरवी शुरू करा दिए। स्थित यह हुआ कि भ्रस्ट अधिकारी की मुराद पूरी भी हो गयी। डीडीयू नगर का चार्ज मिल गया। बिना देर किए चार्ज सम्भालते ही पुरानी डील का बांह फैलाकर स्वागत किया। जिसका असर यह हुआ कि अपने तहसीलदार रहते हुए प्रेषित मुदकमे पर पहली सुनवाई किया। इसमें 29/01/24 को सभी आरजियात को भूमिधर घोषित कर दिया।
विभागीय सूत्रों की माने तो साहब के इस निर्णय के बाद नोटों का जो बंडल आया। ऊन बंडलों के वजन से साहब का तौल कराया गया होता तो दूसरे पल्ले पर साहब के परिवार को भी साथ बैठना पड़ता इसके बाद कहीं जाकर पल्ला एक बराबर हो पाता। हालांकि एक साथ इतनी भारी भरकम मात्रा में आये नोटों को ठिकाने पर लगाने की ब्यवस्था शुरू हुई। सूत्र बताते है कि इसकी जिम्मेदारी साहब के इस कार्य में कंधा से कंधा मिलाकर यहां तक कि एक साथ दोनों मीटिंग का भोजन उनके आवास पर करने वाले उस जूनियर अधिकारी को दी गयी। जिसने चमचमाती बोलेरो में पैसा भरकर उनके निवास पर पहुंचाया। इसके बदले कुछ नोटों के बंडल उनके हिस्से भी आया।
हालांकि इस भ्रस्ट अधिकारी के निर्णय से कब्जाधारियों की परेशानी फिलहाल टल गई थी लेकिन हमेशा के लिए इसका समाधान नही हो पाया। कारण की शिकायत कर्ता लगातार प्रार्थना पत्र उच्चाधिकारियों को देता रहा। उच्चाधिकारी भी सम्बंधित से रिपोर्ट मांगते रहे। एक दो बार के बाद अधिकारियों को इस भ्रस्ट अधिकारी ने शिकायतकर्ता को हैविचुअल शब्द का प्रयोग करते हुए उसके प्रार्थना पत्र को ठंडे बस्ते में डालने का शिफारिश कर दिया।
जिले से न्याय न मिलने की उम्मीद देखकर शिकायत कर्ता ने मुख्यमंत्री व राजस्व परिषद में इसकी शिकायत किया। जिसके बाद शासन से जांच शुरू हो गया। शासन से जांच की जानकारी होने पर इस अधिकारी के कान खड़ा हो गये। आपाधापी में अपने 29/01/ 24 के आदेश पर पुनः 08/04/ 24 को एक शंशोधित आदेश जारी करते हुए पुनः सभी आराजियात को तालाब के नाम दर्ज करा दिया। अब जिन लोंगो ने नोटों का बंडल पहुंचाया है उनके चेहरे के रंग उड़े हुए है। कुछ तो अपने नुकसान का सहन करते हुए इस भ्रस्ट अधिकारी के लिखाफ लोकायुक्त में शिकायत के लिए कागजात तैयार कराना शुरू कर दिए है।
भारत की और उसमे भी देश के दो सबसे बड़े राज्यों उत्तर प्रदेश और बिहार में शासन और प्रशासन का कोई कुछ भी कहे।स्थिति अच्छी तो नही ही कही जाएगी।जब योगी जी के कार्य काल में जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार की यह स्थिति है तो आम आदमी के जीवन की सहज कल्पना की जा सकती है। योगी जी ने तो विधि व्यवस्था को कुछ दुरुस्त किया है पर एफ आई आर ,वह भी एक असहाय महिला का।इसी जनपद के चंदौली तहसील से आ रही है।बिहार के अखबार तो प्रातः ही पटना सहित अन्य नगरों में अपराध की जैसे लहर की रिपोर्ट करते दिखते हैं।एफ आई आर कराना यहां भी हिमालय पर चढ़ने के समान है।
प्रो (डा) ए के उपाध्याय
एमिटी यूनिवर्सिटी,पटना