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41 घरों की कालोनी,पुलिस की डायरी में अधिकांश अराजक

पुलिस अधीक्षक आवास से सटी है कालोनी

Chandauli news: लोकसभा चुनाव में शांति ब्यवस्था बरकरार रहे इसके लिए पुलिस निरोधात्मक कार्यवाही करते हुए असामाजिक तत्वों को चिन्हित करते हुए 107/ 116 में पाबन्द करती है। यह कार्यवाही उन लोंगो पर की जाती जो चुनाव के समय अराजकता, वोट डालने में दखल या फिर किसी एक विशेष प्रत्याशी के पक्ष में वोट डालने के लिए लोंगो को डराने धमकाने का कार्य करते है।

यह कार्यवाही पिछले चुनाव में दर्ज नाम व फिर लोकल इंटेलिजेंस के रिपोर्ट पर की जाती है। जनपद में सातवें चरण में मतदान होना है। जिसके लिए पुलिस पाबन्द करना शुरू कर दी है। उसी क्रम में सदर कोतवाली पुलिस ने पुलिस अधीक्षक आवास से सटे कालोनी के 41 लोंगो के खिलाफ उपजिलाधिकारी सदर न्यायालय में  रिपोर्ट दिया है। जिन्हें 107/116 के तहत पाबन्द करते हुए न्यायालय ने 1- 1 लाख रुपया के दो जमानतदार या फिर 2लाख रुपया के स्वयं जमानत राशि का मुचलका से जमानत कराने का निर्देश जारी किया है। 

एसडीएम सदर के यहां से नोटिस मिलते ही इन लोंगो में हड़कम्प मच गया। सामान्य रूप में आधा दर्जन लोंगो को यह नोटिस मिलने कयास पहले से ही था। कारण की अभी नगर पंचायत चुनाव में कालोनी के एक दो लोंगो में तीखी झड़प हो गयी थी। जिसका रिकार्ड पुलिस रजिस्टर में दर्ज हो गया है। लेकिन लोक सभा चुनाव में पुलिस ने एसपी आवास से सटे इस 41 घरों वाली कालोनी में सभी को पाबन्द कर दिया। सूची में कुछ ऐसे लोग भी जो शिक्षक है। जिनके उपर कभी 151 की भी कार्यवाही नही हुई है। लेकिन बैठे बैठाए अंदाज में पुलिस ने सभी को आरोपी बनाकर न्यायलय में रिपोर्ट प्रस्तुत कर दिया है। अब यह लोग उच्चधिकारियों के गुहार लगाना शुरू कर दिए है। शिक्षक अभिषेक पांडेय का कहना है कि आज तक परिवार का कोई भी सदस्य कोतवाली व पुलिस चौकी तक नही गया होगा। घर से विद्यालय फिर विद्यालय से घर तक नाता होने के बाद भी पुलिस शांति भंग के आरोप में चिन्हित कर ली है।

मृत्युंजय सिंह

मैं मृत्युंजय सिंह पिछले कई वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्रों में कार्य करने के उपरान्त न्यूज़ सम्प्रेषण के डिजिटल माध्यम से जुडा हूँ.मेरा ख़ास उद्देश्य जन सरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से उठाना एवं न्याय दिलाना है.जिसमे आप सभी का सहयोग प्रार्थनीय है.

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One Comment

  1. स्वतंत्रता के 76 साल बाद भी पुलिस और राजस्व प्रशासन जिसमे मजिस्ट्रेट के अधिकार भी निहित हैं।उतने ही क्रूर,संवेदनाशून्य और उत्पीड़क हैं जितने1861 की पुलिस कानून द्वारा अंग्रेजों ने ठीक 1857 के विद्रोह के बाद पुलिस और मजिस्ट्रेटों को बनाया था।कमाल की बात है कि हम लगातार 1952 से जिन महानुभावों को चुनते आए हैं।उन्होंने भी पुलिस सुधारों की बात नही की।असल में उन्हे क्रूर पुलिस भाती है।जनता के साथ क्रूर है।उनके तो जूते उठाती है।आज से पचास साल पहले की पुलिस भी इतनी शोषक नही थी जितनी आज हो गई है।नेताओं का सीधा आशीर्वाद जो वर्दीधारी राक्षसों को मिल रहा है।जनता भी कब आवाज उठाएगी।समझ में नही आता।लोहिया ने कहा था जिंदा कौमें पांच साल इंतजार नही करतीं।यहां तो 76 साल से जनता ,नेताओं,अधिकारियों और पुलिस के अपने आप हृदय परिवर्तन की आस लगाए बैठी है।
    प्रो (डा) ए के उपाध्याय
    पूर्व विभागाध्यक्ष,राजनीति विज्ञान विभाग
    सकलडीहा पी जी कॉलेज
    सकलडीहा, चंदौली

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