बिना कमीशन के नहीं पास होता सीएचओ का पीबीआई
Chandauli news: स्वास्थ्य विभाग का सीएमओ कार्यालय इस समय भ्रस्टाचार में इस तरह डूबा है कि यह अपने मेहनतकश कर्मचारियों के वेतन देने में भी कमीशन खाने लगे है। जो लोग विभाग में चढ़ावा नही चढ़ा रहे। उन्हें उनकी मेहनताना नही मिल रही। भ्रस्टाचार का आलम यह है कि विभागीय उच्चाधिकारियों से शिकायत करने के बाद भी कुछ हासिल नही हो रहा है।
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हेल्थ वेयरनेस सेंटर के रूप में गांव गांव में सीएचओ कई तैनाती की गई है। जिनका सुपरविजन सीएचसी व पीएचसी के अधीक्षक द्वारा किया जाता है। गांव में छोटी छोटी बीमारियों के लिए इन्हें कहीं भटकना न पड़े उसके लिए जीएनएम डिग्री धारकों को तैनात किया गया है। मानदेय के रूप में इन्हें 20500 व पीबीआई( परफार्मेंस वेस्ट इंसेंटिव) के रूप में 15000 मिलता है। पीबीआई का भुगतान तीन से चार माह के बीच एक बार किया जाता है। चार माह में 60000 रुपया एकत्रित हो जाता है। अब इस पैसे को पाने के लिए कर्मचारियों से मुद्रमोचन की कार्यवाही शुरू होती है। जिसके लिए मुख्यालय स्थित एक मेडिकल स्टोर को इसके लिए सुरक्षित स्थान बनाया गया है। इस मेडिकल स्टोर पर बकायदे पैसा जमा होता है। तब जाकर उनके पीबीआई का पैसा मिल पाता है। कुछ सीएचओ ने बताया कि इसके खिलाफ सीएमओ से शिकायत की गई जिसका परिणाम रहा कि एक दर्जन से अधिक लोंगो के सेलरी को बिना कारण रोक दिया गया।
बजट के अभाव में नही हो पाया है भुगतान-सीएमओ
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ वाई एन राय का कहना है कि सीएचओ के पीबीआई का भुगतान बजट के अभाव में नही हो पाया है। जैसे जैसे बजट का आवंटन हो रहा है कर्मचारियों का भुगतान किया जा रहा है। पैसा लेकर प्राथमिकता के आधार पर भुगतान करने के आरोप की जांच कराई जाएगी।