₹5000- 30000 तक लग सकता है जुर्माना
बढ़ते प्रदूषण को देख जिला प्रशासन ने शुरू की सख्ती
डिकम्पोजर के छिड़काव से नष्ट हो जाएगी पराली: भीमसेन
Chandauli news: धान की फसल तैयार होना शुरू हो गया है। आगामी सप्ताह से किसान धान की कटाई शुरू कर देंगे। धान का फसल ठीक से घर आ सके इसके लिए ब्यवस्था में लगें है। तब तक उनके सामने धान की पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण का फरमान जारी हो गया। धान की पराली जलाने पर मुकदमा व जुर्माना की कार्यवाही होगी। इसकी गाइडलाइन उपकृषि निदेशक ने जारी कर दिया। उन्होंने बताया कि पराली को जलाने की बजाय किसान डिकम्पोजर का छिड़काव कर इसे नष्ट कर सकते है।
धान का कटोरा कहा जाने वाले जिले में 25 नवम्बर के बाद किसान अपने फसल की कटाई शुरू कर देंगे। खेतों को जल्दी से खाली कर उसमें गेंहू की खेती करेंगे। इसके लिए धान के अपशिष्ट(पराली) को जलाकर खेत में गेंहू की बिजाई करते है। उधर पराली जलाने से प्रदूषण होता है ऐसा शोध में आया है। प्रदूषण को रोकने के लिए अब किसानों को पराली जलाने से रोका जाने लगा है। इसके लिए उपकृषि निदेशक भीमसेन ने कहा कि इस बार किसानों के अलावा कम्बाइन मशीन (हार्वेस्टर) मालिकों पर भी कार्यवाही की जाएगी। इससे बचने के लिए कम्बाइन हार्वेस्टिंग मशीन के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम अथवा स्ट्रा रीपर अथवा स्ट्रा रेक एवं बेलर लगाना होगा।
उन्होंने बताया कि बिना सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम वाले कम्बाइन मशीन चालकों के विरूद्ध सुसंगत धाराओं के अधीन कार्यवाही की जायेगी। वहीं पराली जलाने वाले कृषकों से 02 एकड से कम क्षेत्र के लिए रू0 5000/ 02 से 05 एकड क्षेत्र के लिए रू0 10000/ और 05 एकड से अधिक क्षेत्र के लिए रू0 30000/ अर्थदंड में वसूल किये जायेंगे।
पराली जलाने के रोकथाम हेतु जनपद स्तर पर अपर जिलाधिकारी तथा तहसील स्तर पर उप जिलाधिकारी की अध्यक्षता में सचल दस्ता गठित किया गया है। जो पराली जलाने की घटनाओं का निरीक्षण करेंगें। न्याय पंचायत स्तर पर कृषि विभाग के कर्मचारी एवं राजस्व विभाग के लेखपालों का उत्तरदायित्व निर्धारित किया गया है। उन्होंने बताया कि ब्लाक स्तर पर डिकम्पोजर का वितरण किया जा रहा है। किसान ब्लाक स्तरीय बीज गोदाम से डिकम्पोजर लेकर उसका छिड़काव करें।