22 हजार की लगी लाइट, 22 माह भी नही जली
Chandauli news: प्रदेश सरकार ने तालाबों का अस्तित्व बरकार रखने के लिए तालाबों का सुंदरीकरण कराया। इसे अमृत सरोवर का नाम दिया गया। जहां पक्का घाट, पाथवे, स्ट्रीट लाइट आदि से इस सरोवर को जगमग करने में लाखों करोड़ों रुपये खर्च किये गए। लेकिन भ्रस्टाचार का आलम यह रहा कि फाइलों का भुगतान होने तक ही सरोवर पर लगी लाईटें रोशनी बिखेरी। जैसे ही इसका भुगतान हुआ। आधे से अधिक गांव की लाईटें अपनी आंख बंद कर ली।
जनपद में मनरेगा के तहत 179 गांव के तालाबों को अमृतसरोवर योजना के तहत चयनित किया गया। इस योजना के तहत तालाब का सुंदरीकरण मनरेगा से कराया जाना था। जिसमें ग्राम पंचायत व क्षेत्र पंचायत के अनुदान से विकास कराया जाना था। अमृत सरोवर का नाम भी किसी स्वतन्त्रता सेनानी या फिर सरदार भगत सिंह के नाम से रखा गया है। जहाँ पक्का घाट,पाथवे, सीमेंटेड कुर्सी, रोशनी के लिए सोलर स्ट्रीट लाइट भी लगायी गयी। इन अमृत सरोवर के गुडवत्ता की बात तो दूर अधिकांश तालाबों पर लगे सोलर लाईटें लगने के साथ ही रोशनी देना बंद कर दी है।
अमृत सरोवर के विकास में अधिकांश स्थानों पर सीधे ग्राम प्रधान तो कुछ स्थान पर जनप्रतिनिधियों से जुड़े लोग भी कार्य को सम्पादित किये है। ऐसे में सकलडीहा विकास खंड के आधा दर्जन अमृत सरोवर की लाईटें चंद दिनों तक ही जलकर खराब हो गयी है।
सूत्रों की माने तो आधा दर्जन गांव तो ऐसे है जहाँ का भुगतान जिस फर्म को हुआ है वह सकलडीहा प्रमुख के परिवार का है। ऐसे में जिन ग्राम पंचायतों की लाईटें खराब है उन गांव के प्रधान शिकायत भी नही कर पा रहे है।
06 लाईट की कीमत 1.27लाख: अमृतसरोवर पर 06 लाईटें लगी है। जिसकी कीमत 1.27लाख भुगतान किया गया है। सामान्य रूप में 13-15हजार रुपये की लाइट का 22266 रुपया प्रति लाईट का सरकारी भुगतान हुआ है। जो 22 माह तक भी नही जल पाया।
क्या कहते है प्रमुख: इस सम्बंध में सकलडीहा ब्लॉक प्रमुख अवधेश सिंह का कहना है कि कुछ गांव की शिकायत मिली है कि वहां की लाईट खराब हो गयी है। जिस एजेंसी से लाईटें खरीदी गई है उसको ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है। उन गांव के सोलर लाईटों को बदलवाया जा रहा है।