सकलडीहा तहसीलदार ने न्यायालय के आदेश को कर दिया स्थगित
Chandauli news: मुख्यमंत्री जी! सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों पर कार्यवाही करने की बजाय आपके अधिकारी खुद कब्जाधारियों के साथ हो गए है। इसके बदले अपनी हिस्सेदारी ले रहे है। तभी तो न्यायालय के आदेश को भी स्थगित कर कब्जाधारियों का कब्जा बरकरार रखने का लिखापढ़ी में आदेश दे दिए। जिसका परिणाम यह हुआ कि बेदखल करने के लिए बनी टीम को वापस होना पड़ा।
प्रदेश सरकार सरकारी भूमि पर कब्जा करने वालों पर सख्त है। लेकिन यह सख्ती तभी सम्भव हो सकती है जब सरकार में बने कारिंदे उन आदेश का पालन कराएं। अधिकारी उन नियमों का पालन कराने की बजाय उस सख़्ती की आड़ में अपनी आमदनी बढ़ाने की नियत बना लें ,फिर तो सरकार सख्त बना रहे।
कुछ ऐसा ही मामला सकलडीहा तहसील का प्रकाश में आया है। जहां सकलडीहा तहसीलदार ने न्यायालय से भीठा की जमीन पर कब्जा करने वालों को बेदखली करने के आदेश को ही स्थगित कर दिया। जबकि बकायदे इसके लिए कब्जाधारियों के यहां नोटिस चस्पा कर दी गयी थी। बेदखली के लिए टीम भी बन गयी थी। लेकिन अचानक तहसीलदार के स्थगन पर रोक लगाने का निर्णय चर्चा का विषय बन गया।
यह है मामला, इतने दिनों में हुआ था निर्णय:
सकलडीहा तहसील के भोजापुर गांव में विद्यालय व भीठा की जमीन पर तत्कालीन प्रधान व अन्य दो का अवैध रूप से कब्जा है। जिसपर मुख्यमंत्री पोर्टल व जिलाधिकारी के यहां शिकायती प्रार्थना पत्र पड़ा था। इसपर तत्कालीन जिलाधिकारी नवनीत चहल ने गम्भीरता दिखाते हुए कार्यवाही करने का निर्देश दिए थे। राजस्व की टीम मौके पर पहुंच नाप जोकज करते हुए तीन व्यक्तियों के खिलाफ धारा 67 ख की कार्यवाही वर्ष 2017 में कर दिया। मामला तहसीदार न्यायालय में विचाराधीन हो गया। वर्ष 2017 से 2023 तक मामले की सुनवाई के तारीख पर तारीख पड़ती रही। स्थिति यह हो गया कि 2 सितंबर 2023 को इस पर न्यायालय से आदेश कब्जाधारियों को बेदखल करने का आदेश जारी हो गया। न्यायालय से आदेश होते ही कब्जाधारियों के खिलाफ बेदखल की कार्यवाही प्रचलित हो गयी।
जिसकी जानकारी के बाद हड़कम्प मच गया। इसी बीच प्रशानिक फेर बदल में सकलडीहा तहसीलदार का स्थानांतरण हो गया। अब नए तहसीलदार के रूप में अखिलेश कुमार गुप्ता चार्ज लिए। इधर बेदखली के कार्यवाही की जानकारी के बाद से हाथ पांव मार रखे लोंगो के लिए मौका हो गया। विभागीय सूत्रों की माने तो साहब के साथ पहली बैठक की सकारात्मक रही। फिर क्या था 2 सितंबर के आदेश को 25 अक्टूबर के दिन साहब ने बकायदे उसी न्यायालय में मजिस्ट्रेट के पद पर पदासीन होकर बेदखली के आदेश पर एकतरफा आदेश का हवाला देते हुए निरस्त कर दिया। इसकी जानकारी जब बेदखल करने वाली टीम को हुआ तो यह चर्चा का विषय बन गया।