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बीएसए कार्यालय का भ्रस्टाचार: बिना ड्राइवर के ही बीएसए की सरपट दौड़ रही गाड़ी

ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के नोटिस में बीएसए कार्यालय ने उपलब्ध कराया रहस्यमयी रिकॉर्ड

बीईओ की गाड़ी चला रहा  एसडीएम का ड्राइवर, बिना चालक के चल रहे बीएसए

Chandauli news: बीएसए कार्यालय से सम्बद्ध 13 वाहनों के कागज में सन्चालन का मामला उजागर हुआ।  इस भ्रस्टाचार को छिपाने के लिए फाइल का कागजी पेट भरने में भ्रस्टाचारियों ने इसकदर जल्दबाजी किया कि बीईओ के गाड़ी को एसडीएम के ड्राइवर से चलवा दिया। वही बीएसए व बीईओ धानापुर के वाहन को बिना ड्राइवर ही सरपट दौड़ा दिया। बिना ड्राइवर के चले इस वाहन का भुगतान भी हो गया।

बतातें चले कि बेसिक विभाग से सम्बद्ध बीईओ, डीसी, बीएसए व लेखाधिकारी को चलने के लिए शासन स्तर से गाड़ी सम्बद्ध करने के मामले में यहां जमकर घालमेल हुआ है। इसमें  खंड शिक्षा अधिकारी से लेकर डीलिंग बाबू व ठेकेदार ने मिलकर कागज का वाहन बनाकर उसे जमीन पर दौड़ा दिया। इन लोंगो की इंजीनियरिंग से तैयार यह कागजी वाहन लगातार चार वर्ष से जनपद के विभिन्न हिस्सों में जमकर दौड़ी। खराब सड़क हो या फिर बरसात का मौसम कागज का यह बोलेरो न रुकी ना ही गली। सड़को के गड्ढे में यह कागजी वाहन इस कदर साहब को लेकर निकल जाए रही थी कि कभी किसी को गढ्ढे का आभास भी नही होने दिया।

अपने मेहनत से तैयार कागजी वाहन से साहब, उसके सन्चालन की जिम्मेदारी संभालने वाले ठेकेदार व उसके सन्चालन में कोई अड़चन न आने पाये इसकी जिम्मेदारी संभालने वाला बाबू अपने इस प्रयोग से काफी संतृप्त रहे। हालांकि कागजी वाहन के संचालन का राज newsplce ने प्रमुखता से उठाया। जिसकी जानकारी के बाद जिलाधिकारी ने जांच बैठा दिया। जिसकी जिम्मेदारी ज्वाइंट मजिस्ट्रेट व उपजिलाधिकारी सदर हर्षिका सिंह को दे दिया गया। अब जांच से सम्बंधित पत्रावली जब ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने तलब किया तो सभी प्रयोगकर्ताओं के कान खड़े हो गए।

अब यह कागज का वाहन असली वाहन कैसे बने इसके लिए मैनपुरी से लेकर सोनभद्र व गाजीपुर जिले के वाहनों का कागजात लगा दिया गया। अब जो वाहन हैसम्बद्ध है  उसके चालक की व्यवस्था लोकल स्तर पर की गयी। जिससे जांच के समय वह सब अपना बयान दे सके। सूत्रों की माने तो  इस घालमेल के जल्दबाजी में इस सभी ने नौगढ़ एसडीएम के निजी चालक से बीईओ की गाड़ी चलवा दिए। जबकि बीएसए की गाड़ी व खंड शिक्षा अधिकारी धानापुर के वाहन बिना ड्राइवर के ही दौड़ गयी। इसकी रिपोर्ट बनाकर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को सौंप दी गयी है।

जबकि विभाग से लेकर सरकारी बैठकों में बीएसए जिस वाहन से जाते थे उसे बकायदे ड्राइवर लेकर जाता था। शायद वह ड्राइवर इन सभी के राज से पर्दा ना उठा दे इसलिए उसके नाम को फाइल से हटा दिया गया। अब बिना ड्राइवर के बीएसए की गाड़ी फर्राटा कैसे दौड़ी यह चर्चा का विषय बना हुआ है।

बीएसए कार्यालय के भ्रस्टाचार की कहानी के लिए पढ़े news palce. In का अगला अंक पॉर्ट 8

मृत्युंजय सिंह

मैं मृत्युंजय सिंह पिछले कई वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्रों में कार्य करने के उपरान्त न्यूज़ सम्प्रेषण के डिजिटल माध्यम से जुडा हूँ.मेरा ख़ास उद्देश्य जन सरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से उठाना एवं न्याय दिलाना है.जिसमे आप सभी का सहयोग प्रार्थनीय है.

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