दो भाई एक ही पद के दावेदार
chandauli chunav desk: नगर निकाय का चुनाव क्या आया दो सगे भाइयों के बीच दीवार खड़ी कर गया। वह भी ऐसे परिवार के बीच,जहां दोनों भाइयों को पिता की विरासत में राजनीति मिली हुई है। भले ही पिता के चार पुत्र हुए। जिसमें तीन हैं। इन सभी में अपनी- अपनी विशेषता है। परिवार में सबको साथ लेकर चलने का गुण है। लेकिन निकाय(nikaya chunav) अंदरखाने के तल्खी को बाहर कर दिया। 11 अप्रैल से पहले तक नगर के लोग भाइयों के प्रेम को देखकर आपस में लोग उदाहरण दिया करते थे ।क्या पता था कि यह चुनाव और इससे मिलने वाली कुर्सी सारे संबंधों को तार-तार कर देगी।
Allso reed: http://news place.in विधायक का ड्रामा, आयोग न थामा
सदर नगर पंचायत में जिस परिवार के पास एक बार दो बार नहीं बल्कि तीन बार कुल मिलाकर 15 वर्षों का की राजसत्ता रही हो ।उस परिवार में ही इस कुर्सी को लेकर घमासान हो जायेगा।उनके लोगों को चयन करना होगा किसे नेता माना जाए। नगर पंचायत के इतिहास में यहां कुल 6 बार चुनाव हुए जिसमें 3 बार इसी परिवार ने सत्ता संभाली थी ।नगर के प्रथम अध्यक्ष होने का गौरव स्वर्गीय लालता प्रसाद यादव को मिला था। उन्होंने लगातार दो बार इस पद पर रखकर पूरे परिवार को साथ लेकर चलने का काम किया था।
उसके बाद उनकी विरासत को उनके ही पुत्र सुनील यादव ने अपनी पत्नी मीनाक्षी यादव को चुनाव में विजय दिलाकर बखूबी शासन चलाया था। कुर्सी की चाहत एक बार फिर उन्हें स्वयं चुनाव मैदान में उतरने के लिए उत्साहित कर दी । उन्हीं के सगे बड़े भाई बृजेश यादव को उनका यह चाहना कुछ सही नहीं भाया।
वह चाहते थे कि परिवार की इस विरासत को अन्य भाई भी बारी-बारी से निभाए लेकिन सत्ता की मलाई जिसने एक बार चाट लिया उसकी जीभ हमेशा लप-लपाती रहती है आखिर कैसे यह मोह छूट पाएगा आज चुनाव मैदान में दोनों सगे भाई आमने-सामने आते हैं एक जीप लेकर चुनाव चिन्ह के रूप में निकले हैं तो दूसरे हाथ में लाल अनार लेकर आए हैं कुछ को यह लगता है कि कहीं यह लाल अनार जीप पर बम बनकर फूट न जाए वही दूसरे भाई ऐसी किसी भी कष्टकारी स्थिति से बचकर निकलना चाहते हैं । भाइयों की इस जंग में मतदाताओं का क्या रुख होगा। फिलहाल इसका इंतजार लोगों को है।