न्यायालय निर्माण को लेकर धरना अधिवक्ता पीएमओ पहुंचे थे देने पत्रक
Varanasi news: पीएमओ मतलब (Prime Minister Office) यह ऐसा ऑफिस है जहां पूरे भारत के किसी भी फरियादी की फरियाद सुनी जा सकती है। अभी तक यही जानकारी आम जनमानस को है। लेकिन प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में खुले पीएमओ ऑफिस का अपना ही अलग नियम है। यहां के कार्यालय में केवल वाराणसी संसदीय क्षेत्र के लोंगो का ही फरियाद सुना जाता है।
चन्दौली न्यायालय संघर्ष समिति के तत्वाधान में अधिवक्ता झनमेजय सिंह की अध्यक्षता में धरना रत है। मंगलवार को सैकडों बाइक पर सवार होकर चंदौली के विभिन्न इलाकों से होते हुए वाराणसी के प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचे और अपना मांग-पत्र दफ्तर सौंपना चाहा, लेकिन वहां के प्रभारी द्वारा चंदौली की जनता व अधिवक्ताओं की मांग से जुड़े पत्रक को लेने से इन्कार कर दिया गया। उसी दौरान अधिवक्ताओं के समर्थन में बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश के पूर्व चेयरमैन व वर्तमान सदस्य हरिशंकर सिंह एड. उतर आए और उनके साथ वाराणसी के अधिवक्ता भी चंदौली के अधिवक्ताओं के साथ शामिल हुए। इस दौरान न तो स्थानीय प्रशासन पत्रक लेने को तैयार था और ना ही पीएमओ दफ्तर के प्रभारी व अन्य कोई कर्मचारी।
ऐसी स्थिति में न्यायालय निर्माण संघर्ष समिति के अध्यक्ष झन्मेजय सिंह समेत तमाम अधिवक्ता अपनी मांगों को प्रधानमंत्री तक पहुंचाने की जिद के साथ वहीं धरने पर बैठ गए। झ
झन्मेजय सिंह ने कहा कि या तो अधिवक्ताओं के पत्रक को स्वीकार किया जाए या फिर हम सभी को जेल भेजा जाए। क्योंकि हमारी मांगें जायज हैं। अगर प्रधानमंत्री अपने आप को प्रधान सेवक कहते हैं तो प्रधान सेवक के सेवकों का यह आचरण जनता की भावनाओं के साथ उचित नहीं है। अधिवक्ता अपने लिए कुछ मांगने नहीं आया है, बल्कि लगातार 26 वर्षों से चंदौली के साथ हो रहे अन्याय को अपने प्रधानमंत्री तक पहुंचाकर अपने दुख को बताकर न्याय की गुहार लगाने आया है। इस पर कमिश्नर वाराणसी के निर्देश पर एसीपी प्रवीण सिंह द्वारा अधिवक्ताओं का ज्ञापन लिया गया। इस दौरान धनंजय सिंह, अमित सिंह द्ददू, भूपेंद्र सिंह, सत्येंद्र बिन्द, संतोष पाठक, विद्या तिवारी, अमित त्रिपाठी, विकास सिंह, पंकज सिंह, मणिशंकर राय, संदीप सिंह आदि उपस्थित रहे।