मैदान के नाम पर एक गज जमीन नही, वहां भी किचेन गार्डेन के नाम लर भेजा पैसा
Chandauli news: अब तक पत्थर लर दुब जमाने वाली कहावत सुना गया है। लेकिन इस कहावत को बेसिक शिक्षा विभाग ने हकीकत में कर दिखाया। यह सुनने में भले ही आश्चर्य लग रहा लेकिन सोलह आने सच है। यह बात अलग है कि पत्थर पर दुब नही जमें लेकिन कागज पर किचेन गार्डेन से निकलने वाली तरोताजा सब्जी बच्चे जरूर खा रहे है।
परिषदीय विद्यालय में बच्चे कृषि का शिक्षा प्रायोगिक कार्य कर सकें। इसके लिए शासन ने किचेन गार्डेन बनाकर बच्चों से कृषि की शिक्षा देने का निर्देश दिया है। इसके लिए 5000₹ प्रति विद्यालय अनुदान दिया गया। लेकिन सरकार का यह योजना भ्रस्टाचारियों के लिए मन मांगी मुराद की तरह मिल गयी। घालमेल का विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किये डीलिंग बाबू और अधिकारियों के बीच की जुगलबंदी ने किचेन गार्डन योजना को भ्रस्टाचार का अड्डा बना दिया।
सूत्रों की माने तो यह पैसा जनपद के 1185 विद्यालयों में भेजना था। लेकिन शासन ने पहले चरण में 20 लाख रुपया विभाग को पहले चरण में दिया। इस धनराशि का शत प्रतिशत रिटर्न कहा से हो पायेगा उन विद्यालयों को वरीयता दिया गया। 400 विद्यालय के बीच 20 लाख रुपया दिया गया। यह पैसा ऐसे विद्यालयों को दिया गया जहां परती जमीन के नाम पर एक धूल भी जमीन नही है। अब ऐसे में यहां किचेन गार्डेन कैसे बन गया। जांच कमेटी इसपर रिपोर्ट भी लगा दी।