फैक्चर प्लेट को निकालने को लिया 20 हजार, भीतर कील छोड़ कर दिया सर्जरी
Chandauli news: सूर्या अस्पताल में मरीजो को भर्ती कराने से लेकर पैसा जमा करने तक जितनी तेजी और सक्रियता कर्मचारियों द्वारा दिखाई जाती है। उससे अस्पलात में ईलाज कराने पहुंचे मरीज के परिजन काफी हद तक इस बात से सन्तुष्ट हो जाते है कि इस अस्पताल में उनके मरीज को बेहतर ईलाज मिलेगा। लेकिन जब उन्हें अस्पलात कर्मचारियों के सक्रियता का एक निश्चित समय सीमा का पता चलता है तब वह अपने आपको ठगा महसूस करते है।
पूरे भारत के 118 व प्रदेश के 08 पिछड़े जिले में सरकार ने चंदौली को रखा है। इन जिलों को आकांक्षात्मक जिले की श्रेणी में इसलिए रखा गया कि यह जिला स्वास्थ्य ,शिक्षा व कृषि के मानक पर खरा नही उतर रहे। सरकार इस जिले में इन इंडिकेटर पर कार्य करने के इच्छुक लोंगो को वरीयता के क्रम में उन्हें स्वास्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने के लिए खुली छूट दे दिया। जिसका परिणाम रहा कि जिला मुख्यालय पर एक दर्जन से अधिक निजी अस्पताल खुल गए। बिना मानक पूरा किये यह लोग सीएमओ कार्यालय से लाईसेंस भी ले लिए। फिर क्या था मानो सरकार ने इन्हें लूटने की आजादी दे दी। अस्पताल के साज सज्जा में संचालको ने एक दूसरे से कम्पटीशन का दौड़ चलाकर अपने अस्पताल को आकर्षक बनाया। लेकिन जो मूल जरूरत है उससे अपने आपको काफी दूर रखा। इसमें जब सूर्या अस्पताल का उद्घाटन हुआ। उस समय यह प्रचार किया गया की हड्डी टूटने पर कहीं भटकना नही पड़ेगा। बल्कि यहाँ बीएचयू के चिकित्सक द्वारा बेहतर ईलाज मिलेगा।
लेकिन अस्पताल में लापरवाही का आलम इस कदर है कि यहाँ चिकित्सक के नाम पर पैसा जमा कराया जाता है। लेकिन ऑपरेशन अप्रशिक्षु कर्मचारियों द्वारा किया जाता है। कुछ इस तरह का मामला प्रकाश में आया है। जहां सकलडीहा के आलमखातोपुर के अभिषेक सिंह के पुत्र पीयूष के दाहिने पैर में फैक्चर प्लेट बीएचयू के ट्रामा सेंटर में ईलाज के दौरान डाली गई थी। अब पैर पूरी तरह से ठीक होने पर उसे निकलवाने के लिए सूर्या अस्पताल में 05 मई को ले गए। अस्पताल में सबसे पहले खून जांच, एक्सरे कराया गया। इसके बाद 34000₹ का खर्च बता दिया गया।
अभिषेक ने बताया कि डॉक्टर गौतम त्रिपाठी ने 05 मई को ऑपरेशन के प्लेट निकालने का समय दे दिया। जिसके बाद 20000₹ तत्काल जमा कराया गया। पीयूष को ऑपरेशन के लिए ओ.टी में ले जाया गया। पीयूष ने बताया कि गौतम त्रिपाठी के बगैर टेक्नीशियन के द्वारा प्लेट निकाल दिया गया। प्लेट को छह स्क्रूप से कसा गया था। लेकिन अप्रिक्षुओ ने 05 स्क्रूप तो निकाले लेकिन एक स्क्रूप अंदर तोड़ दिए। बिना मरीज व परिजन को बताए टांका लगाकर मरीज को छोड़ दिया गया। अस्पताल से छुट्टी होने के बाद कुल 34000₹ का बिल पकडाते हुए 24 मई को टांका काटने के लिए बुलाया गया।
चिकित्सक के परामर्श के बाद जब 24 मई को पीयूष को लेकर अस्पताल पहुंचे। जहां टांका काटा गया। इसके बाद अभिषेक ने एक्सरे कर देखने की बात कही। जब एक्सरे कराया गया तो अस्पताल की लापरवाही सामने आ गयी। इसपर जब पीयूष के परिजनों ने चिकित्सक से पूछना चाहा तो पहले डॉक्टर ने मिलने से मना कर दिया। अभिषेक ने जब दबाव बनाना शुरू किया तब गौतम त्रिपाठी मिले उन्होंने स्क्रूप के विषय मे आस्वासन देने लगे इससे कोई नुकसान नही है। चिकित्सक के इस लापरवाही पर अभिषेक सिंह ने अस्पताल संचालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का प्रार्थना पत्र एसपी को दिया। इसके साथ ही उपभोक्ता फोरम में शिकायत करने की कार्यवाही शुरू कर दिया है।