क्राइमखेलगोरखपुरचंदौलीझांसीबांदा

करोड़पति है बसपा प्रत्याशी सत्येंद्र मौर्या

बैंक में लाखों रुपये जमा , करोड़ो के शेयर होल्डर

Chandauli news: लोकसभा सामान्य चुनाव में बहुजन समाज पार्टी से नामांकन करने वाले सत्येंद्र कुमार मौर्य करोड़पति है। इनके  बैंक खाते में 30 लाख रुपये जमा है। जबकि शेयर होल्डर व डाक बचत पत्र में करोड़ो रुपया लगाए है। 

बुधवार को लोकसभा चुनाव में नामांकन में एकलौते प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल करने वाले बहुजन समाज पार्टी के घोषित प्रत्याशी के रूप में सत्येंद्र कुमार मौर्य ने दो सेट में नामांकन किया। जबकि बहुजन समाज पार्टी से बब्बन सिंह ने एक सेट में पर्चा भी लिया। 

नामांकन करने के दौरान सत्येंद्र कुमार मौर्य ने जो शपथ पत्र दिया है उसमें उन्होंने अपने आप को करोड़पति होने की बात स्वीकार किया है। जिसमें बैंक में 30,72,670 रुपया जमा किये है। पत्नी के नाम से भी 38,55,000 रुपया जमा किये है। नामांकन के दौरान उनके हाथ में कुल 2,50,000₹ थे। पत्नी मनोरमा के पास भी 125000₹ एक बच्ची जिसके पास भी हाथ में 15000₹ थे। इसके अलावा 1,19,88,293₹ का राष्ट्रीय बचत पत्र व 1,16,66,000₹ का डाक घर में बचत पत्र खरीदे है। वही उनकी पत्नी के नाम से भी 48,85,000₹ का बचत पत्र है।

लोकसभा चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशी  02 चार पहिया वाहन रखे है। जिसमें एक स्कॉर्पियो एन व एक्यूवी 2019 मॉडल की है। इसके अलावा कुल 09 ग्राम सोने का आभूषण भी इनके पास है। कृषि योग्य जमीन मात्र 9.5 विस्वा है। जबकि पैतृक जमीन भी विरासत में मिली है। इसके साथ ही इन्होंने अपने कार्यकाल में 69 विस्वा जमीन खरीदे है। हाईस्कूल की शिक्षा 1987 में इन्होंने क्वींस कालेज से पास आउट किये है। जबकि इंटर यूपी कालेज से उतीर्ण किये  है।।

मृत्युंजय सिंह

मैं मृत्युंजय सिंह पिछले कई वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्रों में कार्य करने के उपरान्त न्यूज़ सम्प्रेषण के डिजिटल माध्यम से जुडा हूँ.मेरा ख़ास उद्देश्य जन सरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से उठाना एवं न्याय दिलाना है.जिसमे आप सभी का सहयोग प्रार्थनीय है.

Related Articles

One Comment

  1. बसपा प्रत्याशी श्री सत्येंद्र ,कुशवाहा जाति से आते हैं जो पिछड़ी जाति में आती है ।जैसा कहा जाता है कि सदियों से पढ़ने नही दिया गया। आर्थिक समृद्धि इन पिछड़ी जातियों का पास आ नहीं पाई।पर यहां तो स्थिति कुछ और ही दिख रही है।वह भी जो उन्होंने स्वयं घोषित की है।शिक्षा भी है।भले अधिक नही।पर समृद्धि बहुत से अगड़ी जाति के उच्च शिक्षितों से भी अधिक हैं।यह सिद्ध करता है कि जो अनेक राजनीतिज्ञ,विचारक कह रहे हैं कि आरक्षण की व्यवस्था पर विचार मंथन आवश्यक है।यह उन्हीं को मिले जो उसके योग्य हैं।अभी तक यह अधिकतम कुछ ही लोगों तक सिमट कर रह गया है।जो लाभ भी अधिक पाते हैं और पिछड़े,दलित होने का स्वांग भी अधिक करते हैं।
    प्रो ए के उपाध्याय
    राजशास्त्र विभाग,एमिटी विश्वविद्यालय,पटना।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page