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मारपीट में सिर व हाथ की टूटी हड्डी, दरोगा मैडम ने मारपीट की चार्जसीट न्यायालय में कर दी सम्मिट

पीड़ित न्याय की गुहार के लिए लगा रहा एसपी दफ्तर का चक्कर

Chandauli news: पुलिस अपने विवेचना (जांच रिपोर्ट)  में सांप को रस्सी, या रस्सी को सांप बना दिया तो फिर उसी सांप और रस्सी के बीच न्यायालय में बहस होना है। मतलब दरोगा जज से बड़ा रे ताऊ! “जज” तो “दरोगा” तै बहुत बड़ा होए हैं। तो हुए ना दरोगा जी जज से भी बड़ेबुजुर्ग बोले- ना रै मेरी नज़र मा तो दरोगा बडा है। वकील: वो कैसे? बुजुर्ग: जज ने मुकदमा खत्म करै मे दस साल लगा दिये जबकि दरोगा जी शुरू म ही कह रहे थे ‘पांच हजार रुपया दे दयो, दो दिन मे मामला रफा दफा कर दूंगा’, तो हुए ना दरोगा जी जज से भी बड़े। कुछ ऐसा ही मामला मुगलसराय के हरिशंकरपुर का सामने आया है। जहां एक दरोगा मैडम ने मारपीट में एक पक्ष के सिर व हाथ की  हड्डी चिकित्सकीय रिपोर्ट में टूटना साबित हुआ । लेकिन दरोगा मैडम ने सामान्य मारपीट गाली गलौज ने चार्ज सीट न्यायालय में जमा कर दिया। अब पीड़ित न्याय के लिए कभी न्यायालय तो कभी एसपी दफ्तर का चक्कर लगा रहा है। पुलिस अधीक्षक ने मामले को संज्ञान में लेकर जांच शुरू करा दिए है।

फोटो: घटना के समय पीड़ित को लगी चोट

मुगलसराय के हरिशंकरपुर में 22 फरवरी के दिन रामलाल, अमित व उसकी मां तारा देवी का किसी बात को लेकर संजय, कमलेश, भगवानी व गौतम के बीच मारपीट हो गया। दोनों पक्ष से लाठी डंडे व चाकू चले। जिसमें अमित के ऊपर दूसरे पक्ष के लोग हमलावर थे।  घटना की जानकारी के बाद पहुंची 112 की पुलिस को लाठी लेकर दौड़ना पड़ा। तब जाकर यह लोग मरणासन्न स्थिति में छोड़े थे। अमित व उसके मां तारा को गम्भीर चोट आयी।जिसे स्वास्थ्य परीक्षण के बाद सिर व हाथ की हड्डी टूटी होने की वजह से रेफर कर दिया गया था।

अमित के पिता रामलाल ने मुगलसराय कोतवाली पहुंचकर मुकदमा लिखाया। जिसकी जांच  तत्कालीन चौकी इंचार्ज खुश्बू यादव को दे दिया गया। अब मैडम ने जो जांच रिपोर्ट लगाई (धारा 323, 504,506) के तहत चार्जसीट न्यायालय में प्रस्तुत कर दी। इसके पीछे साक्ष्य का अभाव रहा या फिर विवेचना के समय आव भगत की बेरुखी खैर जो रिपोर्ट लगी वह मेडिकल रिपोर्ट के अवलोकन के विपरीत है। कानूनविद का कहना है मेडिकल रिपोर्ट का अवलोकन किया गया होता तो 308, 325 की धारा बढ़ सकती थी। इसकी जानकारी होने के बाद पीड़ित का 08 माह बाद दर्द पहले से ज्यादा बढ़ गया। जिंदगी मौत के बीच जूझकर वापस आये पीड़ितों ने अधिवक्ता के माध्यम से पाया कि उनके मुकदमें में जो आरोप लगाया गया है उसमें कोई दम नहीं। इसकी जानकारी के बाद 08 माह से दवा ईलाज के साथ साथ सिर व हाथ का एक्सरे रिपोर्ट लेकर पुलिस अधीक्षक के दरबार पहुंचकर अपना दर्द बताया। इस पर पुलिस अधीक्षक ने जांच का आदेश जारी किया।

एक्सरे रिपोर्ट की कॉपी

मृत्युंजय सिंह

मैं मृत्युंजय सिंह पिछले कई वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्रों में कार्य करने के उपरान्त न्यूज़ सम्प्रेषण के डिजिटल माध्यम से जुडा हूँ.मेरा ख़ास उद्देश्य जन सरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से उठाना एवं न्याय दिलाना है.जिसमे आप सभी का सहयोग प्रार्थनीय है.

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