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शरद पूर्णिमा: आकाश से होने वाली “अमृत”पर ग्रहण का रहेगा असर

01 बजे रात्रि से लग रहा चंद्रग्रहण, 06 घंटे पहले सूतक

Chandauli news: शरद पूर्णिमा के दिन आकाश से होने वाली अमृत वर्षा पर ग्रहण का प्रभाव रहेगा। चंद्रग्रहण रात्रि के 01:05 मिनट से खंडग्रास यानी आंशिक चंद्र ग्रहण लग रहा है। जिसका सूतक 06 घण्टे पहले से प्रारम्भ हो जाएगा। इस ग्रहण काल में पूजा पाठ, भोजन आदि का कार्य निषेध माना गया है।

शरद पूर्णिमा के दिन मान्यता है कि गाय के दूध से बने खीर को पूर्णिमा की रात्रि खुले आसमान के नीचे रखने से उसमें गिरने वाली ओस की बूंदें खीर को अमृत बना देती है। जिसे दूसरे दिन सूर्योदय से पूर्व ग्रहण करने से विशेष लाभ होता है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस खीर से दमा जैसी बीमारी ठीक हो जाती है। लेकिन इस बार पूर्णिमा पर ग्रहण लग रहा है।

पंडित कौशलेन्द्र पांडेय का कहना है कि चंद्र ग्रहण का सूतक 6घंटे पहले शुरू हो जाता है इसलिए शाम 04 बजे के बाद धार्मिक कार्य, खाना बनाने और खाने की मनाही होगी। ऐसे में चंद्र ग्रहण के मोक्ष के बाद खुले आसमान के नीचे आप खीर रखा जा सकता है।  चंद्र ग्रहण रात 01.05 से 02.22 तक रहेगा।

सूतक से ग्रहण तक न ही खीर बनानी चाहिये और न ही चाँदनी में रखनी चाहिए ऐसे में खीर बनाने के लिए गाय के दूध से खीर बना लें। सूतक काल शुरू होने के पहले कुशा डाल दें। फिर उसे ढककर रख दें। इससे सूतक काल के दौरान शुद्ध रहेगा। ग्रहण पूर्ण हो जाए तो उसके बाद स्नान आदि कर खीर को चांदनी रात में खुले आसमान चन्द्रमा की रोशनी में छोड़ दें। चन्द्रास्त के पश्चात उस खीर में तुलसी का पत्ता डाल कर भगवान को भोग लगाएं फिर प्रसाद को ग्रहण करना शुभ होगा। ऐसा करने से ग्रहण का नकारात्मक असर खीर पर नहीं पड़ेगा और दैवीय गुणों से युक्त खीर का भी लाभ भी उठा भी मिल जाएगा।

मृत्युंजय सिंह

मैं मृत्युंजय सिंह पिछले कई वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्रों में कार्य करने के उपरान्त न्यूज़ सम्प्रेषण के डिजिटल माध्यम से जुडा हूँ.मेरा ख़ास उद्देश्य जन सरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से उठाना एवं न्याय दिलाना है.जिसमे आप सभी का सहयोग प्रार्थनीय है.

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