महिलाओं के बीच हॉफ पैंट में योगा करने करने पर जमकर हुई थी किरकिरी
Chandauli news: भाव के वश में है भगवान, भाव बिना सब साधन झूठा,भाव नहीं तो निधिवन मधुबन लागत सब बीरान। भाव नहीं तो हरि मन्दिर में दिखत बस पाषाण,भाव हो तो पाषाणों में दिखत है भगवान… लेकिन यहां अपने कारनामें से चर्चा में रहने वाले साहब की फोटो शोशल प्लेटफार्म पर चर्चा का विषय बनी हुई है। कारण की जिस मन्दिर में पूजन करने साहब गए है वह मन्दिर काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट से जुड़ा हुआ है। यहां भी काशी विश्वनाथ मंदिर के नियम कानून पालन होते है।
श्रावण मास के दूसरे सोमवार को भगवान औघड़ दानी को प्रसन्न करने के लिए साहब रुद्राभिषेक करने पहुंचे। जहां वैदिक ब्राह्मणों ने सविधि पूजा अर्चन शुरू कराया। अब भगवान के दरबार में ब्राह्मणों से घिरे साहब को सुरक्षा में कुछ शंका हुआ या कहीं पूजन कार्य में कोई और न आ जाये इसके लिए सुरक्षा ब्यवस्था में लगे कर्मी को असलहे के साथ पीछे खड़ा करा दिए। जिसकी चर्चा जोरों पर है।
सेवा निवृत्ति के करीब पहुंचे साहब इसके पूर्व साहब को देखकर कोई यह अंदाजा न लगा पाए कि साहब सेवानिवृत्त के करीब पहुंच गए है। इस बात का विशेष ध्यान देते है। जो दूसरे लोंगो को काफी प्रभावित कर रहा है। क्योंकि आज कल गणेश आकृति से अधिकांश लोग परेशान है। वैसे में साहब का जीरो फिगर काफी प्रभावित करता है।
उधर शारीरिक ढांचा के अलावा बाल मूंछ से पहचान न हो जाय इसके लिए बाल, मूंछ के साथ साथ भौ भी एक कलर का नियमित रुप से रंगना लोंगो को आकर्षित करता है। अब जब साहब के स्मार्टनेस का चर्चा मातहतों में होने लगा तो इस बात से बुलबुल साहब हाफ पैंट में ही सरकारी कार्यक्रम में जाने से परहेज नही किये। पिछले दिनों योग दिवस में महिलाओं व युवतियों के बीच हाफ पैंट में ही पहुंच गए थे। अब भगवान के दरबार में गनर के संरक्षण में पूजा पाठ चर्चा का विषय बना हुआ है।
असैनिक सेवाएं जिनमे पुलिस भी है। जनता की सेवा,सुरक्षा के लिए हैं। उनके वेतन का भुगतान भी जनता के पैसे से होता है।बिना जनता से पूछे उन्हे अपने वेतन के अतिरिक्त किसी अनावश्यक सुविधा को प्राप्त करने का अधिकार नही है।भारत जैसे निर्धन देश में तो बिलकुल नहीं।पर पद का इतना दुरुपयोग तो अंग्रेज डी एम, एस पी जो जनसेवक नही ,ब्रिटेन के राजा रानी के भारत स्थित प्रतिनिधि थे।वह भी नही करते थे।बिना किसी अंगरक्षक के एस पी, डी एम का जिले में घूमना आम बात थी।