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बड़े बाबू ऑफिस के शीतयुद्ध में “सस्पेंसन” से” सलाखों”तक हो सकती है सफर

सीआरके से लेकर मुंशी तक का अलग अलग गोल

अधिकांश पटल सहायक कार्य के प्रति लापरवाही में हो चुके है दण्डित

कुछ के तगड़ी जुगाड़ के कारण नियम कानून को रखा जा रहा ताक पर

Chandauli news: मुझे तो अपनो ने लूटा गैरों में कहा दम था, मेरी कश्ती वहीं थी डूबी जहां पानी कम था… किसी शायर की यह शायरी पुलिस महकमे के लिए सटीक बैठ रही है। पुलिस अधीक्षक के बड़े बाबू कार्यालय में 08 सदस्यों का यह कार्यालय इस समय शीत युद्ध का अड्डा बन गया है। अपने पटल का कार्य समय से करने की बजाय एक दूसरे का पंख काटने में लगे हुए है। जिसका परिणाम रहा कि युद्ध के मैदान में बड़े बाबू पटखनी खा  गए। जिसका रिजल्ट हुआ  कि बड़े बड़े बाबू निलंबित होने गए।

पुलिस अधीक्षक आदित्य लांग्हे जनपद आगमन के साथ ही अपने महकमें को भ्रस्टाचार से मुक्त करने का प्रयास करते हुए दर्जनों की संख्या जो किसी न किसी रूप में कारखास रहे उनको लाइन हाजिर कर चुके है। इसके साथ ही जनपद से ट्रांसफर गए लोंगो को भी रवाना कर दिए। सूत्रों की माने तो इन सभी के बीच बड़े बाबू कार्यालय में शीत युद्ध शुरू हो गया। सीआरके राकेश यादव जिनके कंधे पर गैर जनपद से आने व जाने वालों का कार्य है। इस जनपद से ट्रांसफर गए पुलिस कर्मियों को डेट फिक्स कराने की जिम्मेदारी सीआरके का है। जो वर्ष 2015 से ट्रांसफररत है। ऐसे में जिनका ट्रांसफर हुआ है वह लोग भी सीआरके की भांति अपने पुराने साम्राज्य को छोड़ना नही चाहते।

अब बड़े बाबू इस बात को लेकर हमेशा परेशान, उधर बड़े बाबू के इशारे पर एक दो कर्मी ऐसे है जो चतुर्थ श्रेणी पर तैनात है वह  कभी कभार शशरीर दर्शन देने के लिए उपस्थित होते है। उधर बड़े बाबू के मुंशी को लेकर अलग चर्चा है। महिलाओं से भरे पडा यह विभाग इसके पूर्व भी अपने कारनामे से चर्चा में रहा। जहां एक महिला कर्मचारी शारीरिक शोषण का आरोप पूर्व में एक सीआरके पर लगाई थी। जिनको पदमुक्त कर दिया गया था। कुछ तगड़े जुगाड़ वाले इस जनपद में तैनात है। कुछ पति पत्नी थानों से लेकर विभिन्न कार्यालयों में तैनात है। जिनका न तो कभी वीआईपी ड्यूटी लगती ना ही सीआर छटता है।

शीतयुद्ध में तलवार इस कदर खींच गया कि एक दूसरे में दैनिक क्रिया कलाप पर निगाह शुरू हो गया। मेडिकल से लेकर चरित्र वैरिफिकेशन तक पैसेका लेन देन होता है। ऐसे में बड़े बाबू लेनदेन में निलंबित हो गए यहां तक कि सदर कोतवाली में मुकदमा दर्ज हो गया। माना जा रहा है कि सरसपेंशन से सलाखों तक का सफर करना पड़ सकता है।

मृत्युंजय सिंह

मैं मृत्युंजय सिंह पिछले कई वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्रों में कार्य करने के उपरान्त न्यूज़ सम्प्रेषण के डिजिटल माध्यम से जुडा हूँ.मेरा ख़ास उद्देश्य जन सरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से उठाना एवं न्याय दिलाना है.जिसमे आप सभी का सहयोग प्रार्थनीय है.

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