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गौ तश्करो से बैठे तालमेल तो, पुलिस के सामने से निकल गयी गौवंश की गाड़ी

पुलिस के कृत्य से ग्रामीणों ने दौड़ा कर पकड़ा मौके पर पहुंची पुलिस ने ग्रमीणों को दौड़ाया

सैयदराजा के धरौली चौकी का मामला

Chandauli news: जीटी रोड़ से पिकेट हटाकर पुलिस अधीक्षक ने अवैध कमाई करने वालों का कमर तोड़ने की नियत से कार्यवाही किया। लेकिन उनकी यह  कार्यवाही अवैध वसूली में लिप्त लोंगो के लिए किसी वरदान से कम नही साबित हुआ। अवैध कमाई का रास्ता बदल गया। जिससे विभगीय अधिकारियों के बीच साफ सुथरी छवि भी बन गयी और कमाई भी बढ़ गयी।

गौ तश्करों से सीधी डीलिंग का असर यह है कि गौतश्क पहले एक निश्चत समय पर गाड़ी पास कराते थे। लेकिन जब से बड़े साहब से डीलिंग कंप्लीट हुई है अब यह सब बिना किसी समय बिना किसी संकोच के अपने कारनामे को अंजाम दे रहे। रविवार को कुछ ऐसी स्थिति देखने को मिली। जब धरौली चौकी के सामने से गौवंश से भरी तिरपाल से ढंकी पीकप पार हो गयी। पुलिस के लोग उसे टोकना भी उचित नही समझे।

पुलिस का गौतश्करो को इस तरह की खुली छूट सुबह टहल रहे ग्रामीणों के  गले से नीचे नही उतरा। फिर क्या था दर्जनों की संख्या में ग्रामीण राजाबाजार में उक्त वाहन को तब रोक पाये जब वह अनियंत्रित होकर चबूतरे में टक्कर मार दी। जबकि दो गाड़ी गौवंश लेकर तश्कर भाग गए। स्थिति तब हास्यास्पद हो गया जब ग्रामीणों के पीकप रोके जाने की जानकारी पर पहुंची पुलिस से वीडियो बना रहे ग्रामीणों को दौड़ा लिया। हालांकि तक तक सैकड़ो की संख्या में ग्रामीण उपस्थित हो गए। जिससे पुलिस को पीछे हटना पड़ा।

पहले 2500 अब 3500 हो गया रेट:

पुलिस अधीक्षक अदित्य लांग्हे के कार्यवाही के बाद अलीनगर, व सैयदराजा में लगने वाली पिकेटी समाप्त हो गया। लेकिन सूत्रों की माने तो इसके लिए अलग रास्ता निकाला गया। इसमें गौ तश्करो से सीधे डीलिंग शुरू हुई। सूत्रों की माने तो पहले थानाध्यक्ष के पास 2500₹ पहुंचता था। लेकिन डीलिंग के बाद 3500₹ पहुंच रहा। पहले रक पीकप 4500₹ अलीनगर 4500₹ चन्दौली पुलिस व 4500₹ सैयदराजा के पिकेट पर देती थी। जिसमें दो दो सिपाहियों की पिकेट ड्यूटी एक एक सप्ताह के लिए लगती थी। 4500₹ में सभी कर्मचारियों को बांटने के बाद 2000- 2500₹ प्रभारी के हिस्से जाता था। लेकिन पिकेट समाप्त होने के बाद प्राइवेट पासरों के सीधे डीलिंग हो गयी। सूत्रों की माने तो यह डीलिंग यहां से गैर जनपद गए करखासों के पहल पर हुआ है। इसमें 2500₹ की जगह अब 3500₹ सीधे तौर पर एक मुश्त लिया जाता है। कुछ प्रभारियों का ढाबा पट पैसा रखा जा रहा तो एकाध इंस्पेक्टर का तो बिहार के एक दुकान पर जमा हो रहा है। जहां से इन लोंगो तक पहुंच जा रहा है।

मृत्युंजय सिंह

मैं मृत्युंजय सिंह पिछले कई वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्रों में कार्य करने के उपरान्त न्यूज़ सम्प्रेषण के डिजिटल माध्यम से जुडा हूँ.मेरा ख़ास उद्देश्य जन सरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से उठाना एवं न्याय दिलाना है.जिसमे आप सभी का सहयोग प्रार्थनीय है.

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One Comment

  1. गो वंश की तस्करी इस हिंदू बहुल राष्ट्र में महा पाप है। संविधान के द्वारा भी गो वंशो की रक्षा के निर्देश दिए गए हैं।यहां दशकों से उल्टा हो रहा है।यह हो रहा है पुलिस विभाग की रीढ़ की हड्डी ,थानेदारों के सहयोग से।आई पी एस अफसरों में से अधिकांश ने इस अपराध को चंद पैसों के लिए “आशीर्वाद” दिया है। ये लोग भारतीय कुकृत्य सेवा के सदस्य हैं।

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